- बांग्लादेश के फरीदपुर में मशहूर सिंगर जेम्स का कॉन्सर्ट हिंसा के कारण रद्द किया गया.
- हमलावरों ने स्कूल की वर्षगांठ पर होने वाले कार्यक्रम में जबरदस्ती घुसने की कोशिश की और ईंट पत्थर फेंके गए.
- तस्लीमा नसरीन ने इस घटना को बांग्लादेश में कला और संस्कृति पर बढ़ते हमलों का नया उदाहरण बताया है.
बांग्लादेश में कलाकारों, परफॉर्मर्स और सांस्कृतिक संस्थानों पर हमलों का सिलसिला थम नहीं रहा है. ताजा घटना फ़रीदपुर की है, जो ढाका से करीब 120 किलोमीटर दूर है, जहां मशहूर सिंगर जेम्स का कॉन्सर्ट हिंसा की वजह से रद्द करना पड़ा.
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, यह कार्यक्रम शुक्रवार रात 9 बजे एक स्कूल की वर्षगांठ के मौके पर होना था. लेकिन इससे पहले ही एक समूह ने जबरदस्ती अंदर घुसने की कोशिश की और भीड़ पर ईंट‑पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. चश्मदीदों का कहना है कि छात्रों ने हमलावरों का सामना किया, लेकिन हालात बेकाबू होने पर स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर कॉन्सर्ट रद्द कर दिया गया.
Islamist mob attacks concert of Bangladesh's biggest rockstar James at Faridpur. James has sung for Bollywood also. The mob wants no music or cultural festivals to be held in Bangladesh. James somehow managed to escape. pic.twitter.com/0yNeU0Us9h
— Deep Halder (@deepscribble) December 26, 2025
तस्लीमा नसरीन ने साधा निशाना
लेखिका तस्लीमा नसरीन ने घटना पर पोस्ट करते हुए कहा, 'जिहादियों ने जेम्स को परफॉर्म नहीं करने दिया.' उन्होंने इसे बांग्लादेश में कला और संस्कृति पर बढ़ते हमलों का नया उदाहरण बताया.
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बांग्लादेश में नहीं थम रहा हिंसा का दौर
हाल के दिनों में, बांग्लादेश की सड़कों पर कट्टरपंथी, उग्र इस्लामी भीड़ों का दबदबा बढ़ता जा रहा है और राज्य मशीनरी पर आंखें मूंद लेने के आरोप लग रहे हैं. इसी माहौल में कलाकार, पत्रकार, और कई मीडिया हाउस हमलों का शिकार हुए हैं.
CHHAYANAUT और UDICHI पर भी हमले
इससे पहले भी प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्थानों छायानट और उदिची को निशाना बनाया जा चुका है. कलाकार और सांस्कृतिक संगठन लगातार दबाव झेल रहे हैं.
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सड़कों पर कट्टर भीड़ का कब्जा
बांग्लादेश के कई शहरों में कट्टरपंथी भीड़ खुलेआम हिंसा पर उतारू है. कला, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम निशाने पर हैं.
आरोप यह भी हैं कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार इन भीड़ों पर काबू पाने में नाकाम रही है और आलोचक यह दावा कर रहे हैं कि हिंसा और आगज़नी की ये घटनाएं जानबूझकर बढ़ाई जा रही हैं ताकि फरवरी में होने वाले चुनाव टाले जा सकें.
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