 
                                            
                                        
                                        
                                                                                दारमस्ताद (जर्मनी): 
                                        पुणे के पास स्थित एक भारतीय मेगा टेलीस्कोप ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मंगल ग्रह पर रोवर उतारने के महत्वाकांक्षी मिशन से आखिरी सिग्नल प्राप्त किए थे.
पुणे से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'द जायंट मीटर वे रेडियो टेलीस्कोप' (जीएमआरटी) ने 'शियापारेल्ली' लैंडर यान के टच डाउन से ठीक दो मिनट पहले सिग्नल प्राप्त किए. पुणे के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के नेशनल सेटर फॉर रेडियो ऐस्ट्रोफिजिक्स के डायरेक्टर स्वर्ण घोष ने यह जानकारी दी.
जीएमआरटी के पास 45 मीटर व्यास के 30 बड़े डिश एंटीना हैं. जीएमआरटी को यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने 'शियापारेल्ली' यान के प्रक्षेप पथ को ट्रैक करने की जिम्मेदारी दी थी.
घोष ने बताया, 'सिग्नल प्राप्त करने के लिए 19 भारतीय टेलीस्कोप एक साथ काम कर रहे थे और शियापारेल्ली' के टचडाउन से ठीक 2 मिनट पहले तक सिग्नल मिला. उसके बाद संपर्क टूट गया.'
उन्होंने कहा, ऐसा माना जाता है कि जब यान की सुरक्षित लैंडिंग के लिए और उसकी गति को धीमा करने के लिए विशेष रॉकेट या थ्रस्टर्स फायर होने वाले थे तभी सिग्नल टूट गया.
दूसरी ओर पृथ्वी पर मौजूद नियंत्रक मंगल पर जीवन से जुड़ी साहसिक खोज के तहत वहां उतरने वाले यूरोप के एक छोटे यान की स्थिति को लेकर समाचार मिलने का व्याकुलता एवं घबराहट से इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन संभवत: यान मंगल के प्रभाव को सहन नहीं कर पाया.
छोटे बच्चों के खेलने के लिए बने पैडलिंग पूल जितने आकार के 'शियापारेल्ली' लैंडर यान को मंगल पर अंतरराष्ट्रीय समयानुसार बुधवार दोपहर दो बजकर 48 मिनट पर उतरना था.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने कुछ ही घंटों बाद विमान के मंगल पर उतरने की पुष्टि की, लेकिन उसने साथ ही कहा कि यान कोई संकेत नहीं दे रहा है, जिसने इस अभियान के असफल रहने की आशंका को जन्म दे दिया है.
ईएसए के शियापारेल्ली प्रबंधक थिएरी ब्लांक्वैर्ट ने एएफपी से कहा, "यान मंगल पर उतर गया है, यह बात निश्चित है..." उन्होंने दारमस्ताद में अभियान नियंत्रण कक्ष से कहा, "मैं यह नहीं जानता कि वह सही-सलामत मंगल पर उतरा है, या वह किसी चट्टान से टकरा गया है या वह केवल संचार स्थापित नहीं कर पा रहा है..." उन्होंने कहा कि वह इस बात को लेकर 'बहुत आशावान' नहीं है कि यान सही सलामत है.
यदि यह अभियान असफल रहता है तो यह यूरोप की मंगल पर उतरने की लगातार दूसरी असफल कोशिश होगी. यूरोप की मंगल पर उतरने की 13 वर्ष पहले की गई पहली कोशिश भी असफल रही थी.
(इनपुट एजेंसी से भी...)
                                                                        
                                    
                                पुणे से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'द जायंट मीटर वे रेडियो टेलीस्कोप' (जीएमआरटी) ने 'शियापारेल्ली' लैंडर यान के टच डाउन से ठीक दो मिनट पहले सिग्नल प्राप्त किए. पुणे के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के नेशनल सेटर फॉर रेडियो ऐस्ट्रोफिजिक्स के डायरेक्टर स्वर्ण घोष ने यह जानकारी दी.
जीएमआरटी के पास 45 मीटर व्यास के 30 बड़े डिश एंटीना हैं. जीएमआरटी को यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने 'शियापारेल्ली' यान के प्रक्षेप पथ को ट्रैक करने की जिम्मेदारी दी थी.
घोष ने बताया, 'सिग्नल प्राप्त करने के लिए 19 भारतीय टेलीस्कोप एक साथ काम कर रहे थे और शियापारेल्ली' के टचडाउन से ठीक 2 मिनट पहले तक सिग्नल मिला. उसके बाद संपर्क टूट गया.'
उन्होंने कहा, ऐसा माना जाता है कि जब यान की सुरक्षित लैंडिंग के लिए और उसकी गति को धीमा करने के लिए विशेष रॉकेट या थ्रस्टर्स फायर होने वाले थे तभी सिग्नल टूट गया.
दूसरी ओर पृथ्वी पर मौजूद नियंत्रक मंगल पर जीवन से जुड़ी साहसिक खोज के तहत वहां उतरने वाले यूरोप के एक छोटे यान की स्थिति को लेकर समाचार मिलने का व्याकुलता एवं घबराहट से इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन संभवत: यान मंगल के प्रभाव को सहन नहीं कर पाया.
छोटे बच्चों के खेलने के लिए बने पैडलिंग पूल जितने आकार के 'शियापारेल्ली' लैंडर यान को मंगल पर अंतरराष्ट्रीय समयानुसार बुधवार दोपहर दो बजकर 48 मिनट पर उतरना था.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने कुछ ही घंटों बाद विमान के मंगल पर उतरने की पुष्टि की, लेकिन उसने साथ ही कहा कि यान कोई संकेत नहीं दे रहा है, जिसने इस अभियान के असफल रहने की आशंका को जन्म दे दिया है.
ईएसए के शियापारेल्ली प्रबंधक थिएरी ब्लांक्वैर्ट ने एएफपी से कहा, "यान मंगल पर उतर गया है, यह बात निश्चित है..." उन्होंने दारमस्ताद में अभियान नियंत्रण कक्ष से कहा, "मैं यह नहीं जानता कि वह सही-सलामत मंगल पर उतरा है, या वह किसी चट्टान से टकरा गया है या वह केवल संचार स्थापित नहीं कर पा रहा है..." उन्होंने कहा कि वह इस बात को लेकर 'बहुत आशावान' नहीं है कि यान सही सलामत है.
यदि यह अभियान असफल रहता है तो यह यूरोप की मंगल पर उतरने की लगातार दूसरी असफल कोशिश होगी. यूरोप की मंगल पर उतरने की 13 वर्ष पहले की गई पहली कोशिश भी असफल रही थी.
(इनपुट एजेंसी से भी...)
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