19 साल से शिलान्यास-उद्घाटन और लोकार्पण देख रहा UP का ये बांध, भ्रष्टाचार की दे रहा गवाही!

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चित्रकूट जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने धूमधाम से रसिन बांध (Rasin Dam) का लोकार्पण किया.

19 साल से शिलान्यास-उद्घाटन और लोकार्पण देख रहा UP का ये बांध, भ्रष्टाचार की दे रहा गवाही!

सीएम योगी ने रसिन बांध का लोकार्पण किया.

खास बातें

  • चित्रकूट जिले का रसिन बांध
  • सीएम योगी ने किया लोकार्पण
  • बांध बनाने में हुआ भ्रष्टाचार?
चित्रकूट:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चित्रकूट जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने धूमधाम से रसिन बांध (Rasin Dam) का लोकार्पण किया. सूखाग्रस्त बुंदेलखंड इलाके में 2002 में शुरु हुई रसिन बांध सिंचाई परियोजना का पानी आजतक किसानों के खेत में भले न पहुंचा हो लेकिन अलग-अलग समय की सरकारों ने रसिन बांध को जरुर अपने-अपने उपलब्धियों के खाते में दिखाया है. अब फिर रसिन बांध की पुरानी परियोजना का दोबारा रंग रोगन करके यूपी के मुख्यमंत्री ने लोकार्पण किया है, जबकि जिन किसानों का खेत अधिग्रहण किया गया था, कईयों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट के रसिन बांध का बुधवार को लोकार्पण किया. बांध के आसपास रंग रोगन कर दिया गया है और चौधरी चरण सिंह सिंचाई परियोजना का पुराना बोर्ड हटाकर अब इस तरह का नया बोर्ड लगा दिया गया है, जिसमें चौधरी चरण सिंह का नाम गायब हो गया है. अखबार में एक-एक पन्ने का विज्ञापन छपा लेकिन नहर में पानी अब भी नहीं है और कई किसानों को मुआवजा भी नहीं मिला है, इसीलिए कई लोगों का आरोप है कि रसिन बांध जैसी पुरानी परियोजना का लोकार्पण करके सरकार वाहवाही बटोर रही है.

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बांदा के समाजसेवी आशीष सागर ने कहा, 'पेपर में बड़े इश्तहार दिए गए हैं लेकिन 17 साल बाद आज भी नहर में पानी नहीं है. इसकी लागत 17 करोड़ से बढ़कर 141 करोड़ रुपये हो गई है. कई किसानों को मुआवजा नहीं मिला है. इसके लोकार्पण की क्या जरुरत थी.' गांव की एक महिला जिनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था, वह कहती हैं कि बांध में 12 बीघा जमीन चली गई और मुआवजे में केवल डेढ़ लाख रुपये मिले, बाकी जमीन भी नहीं मिली, ऐसे कई लोग हैं.

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19 साल से बन रहे इस चौधरी चरण सिंह रसिन बांध परियोजना की लागत 17 करोड़ से 141 करोड़ करके कैसे भ्रष्टाचार हुआ, इसकी कहानी जानने के लिए हम आपको 6 साल पीछे लेकर चलते हैं. 2015 में पहली बार NDTV की टीम जब रसिन बांध पहुंची थी, तब नहरें सूखी थीं और बांध के कंट्रोल रुम की खिड़की-दरवाजे तक चोरी हो चुके थे. यहां तक कि बांध के पास 80 लाख रुपये की लागत से जंगल में एक पार्क बना दिया गया था और सीमेंट से बने पोल की जगह रेत और बालू से भरे पोल खड़े करके पैसे खा लिए गए.

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बसपा, समाजवादी पार्टी और अब बीजेपी की सरकार में रसिन बांध के शिलान्यास से लेकर उद्घाटन और लोकार्पण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो गए लेकिन बुंदेलखंड के किसानों के खेत में अब भी रसिन बांध से पानी नहीं पहुंच पा रहा है, क्योंकि बारिश की कमी से डैम में इतना पानी ही नहीं रहता है कि नहर के जरिए पानी खेतों में पहुंच सके.

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