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अखिलेश दुबे के साम्राज्य पर पुलिस का एक और प्रहार, गैंग में शामिल सहयोगी इंस्पेक्टर गिरफ्तार 

इंस्पेक्टर सभाजीत सिंह पर वक्फ की जमीन पर अवैध कब्जा कराने, मुतवल्ली को धमकाकर रंगदारी वसूलने और अखिलेश दुबे के गिरोह को संरक्षण देने के गंभीर आरोप हैं.

अखिलेश दुबे के साम्राज्य पर पुलिस का एक और प्रहार, गैंग में शामिल सहयोगी इंस्पेक्टर गिरफ्तार 
  • कानपुर पुलिस ने अखिलेश दुबे गैंग को बड़ा झटका देते हुए निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत सिंह को गिरफ्तार किया है
  • सभाजीत सिंह पर वक्फ की जमीन अवैध कब्जा कराने और मुतवल्ली को धमकाकर रंगदारी वसूलने के गंभीर आरोप हैं
  • SIT जांच में सभाजीत ने दुबे गैंग के कई अपराधिक मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई और कई पुलिसकर्मी निलंबित हुए हैं
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लखनऊ:

यूपी के कानपुर केंधाड़चित अखिलेश दुबे मामले में पुलिस ने अखिलेश दुबे गैंग को एक और बड़ा झटका दिया है. वकील, पत्रकार से लेकर ख़ुद को कई विधाओं में पारंगत बताकर ठगी करने के आरोपी अखिलेश दुबे के काले कारनामों के किले को ढहाने की मुहिम के दौरान आज ग्वालटोली थाना क्षेत्र के तत्कालीन इंस्पेक्टर सभाजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. 

इंस्पेक्टर सभाजीत सिंह पर वक्फ की जमीन पर अवैध कब्जा कराने, मुतवल्ली को धमकाकर रंगदारी वसूलने और अखिलेश दुबे के गिरोह को संरक्षण देने के गंभीर आरोप हैं. इससे पहले निलंबित किए गए सभाजीत की यह गिरफ्तारी एसआईटी की लंबी जांच का नतीजा है,जो दुबे गैंग के साथ मिलकर पुलिस नेटवर्क को उजागर करने वाली साबित हो रही है.

आरोप है कि सभाजीत सिंह लंबे समय से ग्वालटोली क्षेत्र में सक्रिय था. वह अखिलेश दुबे के इशारे पर वक्फ बोर्ड की सिविल लाइंस स्थित बेशकीमती जमीन पर कब्जा कराने में शामिल रहा. इस जमीन पर दुबे परिवार ने गेस्ट हाउस तक बना लिया था. सभाजीत पर आरोप है कि उसने मुतवल्ली मोईनुद्दीन आसिफ को धमकियां देकर रंगदारी मांगी और शिकायतों को दबाया. 

पुलिस की जांच में सामने आया है कि वह दुबे के कई अन्य अपराधिक मामलों, जैसे फर्जी दुष्कर्म केस दर्ज कराकर वसूली, जमीन हड़पना और ब्लैकमेलिंग, में भी सीधे तौर पर लिप्त था. गिरफ्तारी के बाद सभाजीत से पूछताछ में कई अहम सुराग मिले हैं, जो दुबे के भाई सर्वेश और भतीजी सौम्या जैसे फरार सदस्यों तक पहुंच बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं.

अखिलेश दुबे के काले कारनामे पुराने हैं. अखिलेश दुबे को अगस्त 2025 में भाजपा नेता रवि सतीजा को फर्जी दुष्कर्म केस में फंसाकर 50 लाख रुपये की वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दुबे का गिरोह बिहार-झारखंड से महिलाओं को लाकर झूठे केस कराता था, जिससे कारोबारियों और नेताओं को ब्लैकमेल किया जाता. 

एसआईटी इंचार्ज अंजलि विश्वकर्मा ने एसआईटी को 54 से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं, जिसमें दुबे गैंग में शामिल पुलिस अधिकारियों जिसमे तीन सीओ (ऋषिकांत शुक्ला, विकास पांडेय, संतोष सिंह), व अन्य 2 इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी, नीरज ओझा समेत केडीए के दो कर्मचारियों के नाम शामिल हैं. इन सभी को नोटिस जारी हो चुके हैं. कुल छह पुलिसकर्मी चार इंस्पेक्टर और दो दारोगा निलंबित हो चुके हैं, जो दुबे के 'दरबार' में माथा टेकने वालों में शुमार थे.

कानपुर पुलिस ने गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कार्रवाई ईमानदार जांच का परिणाम है. कोई भी चाहे पुलिस अधिकारी हो या आम नागरिक कानून से ऊपर नहीं. दुबे गैंग के हर सदस्य को सलाखों के पीछे पहुंचाएंगे. इस गिरफ्तारी से अपराध जगत के साथ साथ पुलिस विभाग में भी एक बार फिर से हड़कंप मच गया है. पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है, और एसआईटी दुबे के करोड़ों के लेन-देन, कंस्ट्रक्शन कंपनियों और सफेदपोश कनेक्शनों की जांच तेज कर रही है.

कानपुर में भूमाफियाओं दबंगों पर कड़ा शिकंजा कसने के साथ साथ कुछ महिलाओं को आगे करके बड़े-बड़े पूंजीपतियों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करा कर रंगदारी और वसूली करने वाले संगठित गिरोहों को बेनकाब कर जेल पहुंचाने के लिए कार्रवाई की जा रही है. कानपुर में पुलिस कमिश्नर द्वारा शुरू किए गए “ऑपरेशन महाकाल" की मुहिम बराबर जारी है.अब तक आधा दर्जन से अधिक मुक़दमे दर्ज कर उनके आकाओं की जेल पहुंचाया गया है. जेल जाने वालों में कई सफेदपोश और कई चर्चित वकील भी शामिल है.

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