- कानपुर कोर्ट में गंभीर बीमारी से ग्रसित युवक स्ट्रेचर पर पेश होकर जमानत प्राप्त करने में सफल रहा
- युवक पर पत्नी ने दहेज उत्पीड़न और अमानत में खयानत के आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था
- ब्रेन हेमरेज के कारण युवक चलने-फिरने और बोलने में असमर्थ हो गया था और उसका इलाज पीजीआई लखनऊ में चल रहा था
अक्सर कहा जाता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं लेकिन कभी-कभी कानून की फाइलों और जमीनी हकीकत में जमीन-आसमान का अंतर होता है. ऐसा ही एक दिलचस्प और भावुक कर देने वाला मामला गुरुवार को कानपुर कोर्ट में देखने को मिला. जो शख्स पिछले एक साल से फरार चल रहा था और पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था, वह जब कोर्ट में हाजिर हुआ तो अपने पैरों पर नहीं, बल्कि स्ट्रेचर पर था. जब जज साहब ने मरीज की हालत देखी तो उनके मुंह सिर्फ एक शब्द निकला और वो था - जमानत.
आपको बता दें कि ये वाक्या कानपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट-9 में हुआ है. यहां एक मरीज को गंभीर हालत में स्ट्रेचर पर लिटाकर पेशी के लिए लाया गया था. युवक की हालत देख न केवल वहां मौजूद वकील और लोग हैरान रह गए, बल्कि जज ने भी तत्काल उसे जमानत दे दी. बर्रा थानाक्षेत्र के रहने वाले इस युवक की शादी साल 2018 में चकेरी निवासी एक युवती से हुई थी. शादी के महज एक हफ्ते बाद ही पत्नी अपने मायके चली गई और फिर कभी वापस ससुराल नहीं लौटी.
इसके बाद शुरू हुआ कानूनी दांव-पेच का सिलसिला. पत्नी ने पति और ससुराल वालों पर अमानत में खयानत और दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया. आरोप था कि ससुराल वालों ने 25 से 30 लाख रुपये का सामान और कैश हड़प लिया है. साथ ही गुजारा भत्ता का केस भी फाइल कर दिया गया.युवक के वकील विनोद पाल ने बताया कि कोर्ट केस के दौरान ही साल 2020 में युवक की जिंदगी में एक बड़ा तूफान आया. उसे ब्रेन हेमरेज हो गया. इस गंभीर बीमारी ने उसे पूरी तरह से तोड़ दिया. वह चलने-फिरने और यहां तक कि बात करने में भी असमर्थ हो गया. उसका इलाज लखनऊ पीजीआई में चल रहा था.
बीमारी के कारण वह कोर्ट की तारीखों पर मौजूद नहीं हो पा रहा था. वकील ने कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट्स पेश कीं,लेकिन पत्नी पक्ष ने इन रिपोर्ट्स को झूठा और बचने का बहाना बताया.लगातार गैर-हाजिर रहने के कारण कोर्ट ने कानूनन सख्त रुख अपनाया. पहले युवक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया गया. इसके बावजूद जब वह नहीं आ सका, तो 25 नवंबर को कोर्ट ने उसकी संपत्ति कुर्क (जब्तीकरण) करने का आदेश दे दिया. पुलिस जब कुर्की का नोटिस चस्पा करने घर पहुंची, तो परिवार वालों में हड़कंप मच गया.
कुर्की के डर और कानून के सम्मान में परिजन गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे युवक को स्ट्रेचर पर लादकर कोर्ट ले आए. जैसे ही स्ट्रेचर पर लेटे, बोलने और चलने में असमर्थ युवक को जज के सामने पेश किया गया, तो पूरी स्थिति स्पष्ट हो गई. कागजों में फरार चल रहा आरोपी हकीकत में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा था. युवक की नाजुक हालत को देखते हुए कोर्ट ने मानवीय आधार पर तुरंत उसकी जमानत याचिका मंजूर कर ली. यह घटना कोर्ट परिसर में चर्चा का विषय बनी रही.
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