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This Article is From Dec 28, 2022

निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर सियासी जंग के बीच यूपी सरकार ने OBC आयोग गठित किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस के बीच योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर सियासी जंग के बीच यूपी सरकार ने OBC आयोग गठित किया
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बुधवार को अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया.
नई दिल्ली:

स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस के बीच बुधवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में ओबीसी आयोग का गठन कर दिया है. रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में गठित आयोग में कुल पांच सदस्य होंगे. सरकार की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही यूपी के निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण का निर्धारण होगा. 

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव के लिए विशेष पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करके उसके अध्यक्ष और चार सदस्यों की नियुक्ति कर दी है. यूपी निकाय चुनाव को लेकर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को बड़ा फैसला दिया था. अदालत ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि इस बार बगैर आरक्षण के निकाय चुनाव करवाए जाएं. अदालत का कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्‍ट न हो तब तक आरक्षण को लागू नहीं किया जाए. हाईकोर्ट ने 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नकार दिया.

हाईकोर्ट ने निकाय चुनावों के लिए 5 दिसंबर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को भी खारिज कर दिया. इस फैसले के बाद विपक्षी दलों ने यूपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया. सपा, कांग्रेस ने मांग की थी कि बिना आरक्षण निकाय चुनाव न कराए जाएं. 

यूपी सरकार की ओर से कहा गया था कि बिना पिछड़ा वर्ग आरक्षण के उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव संपन्न नहीं कराए जाएंगे. सरकार की ओर से इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात भी कही गई थी. अब यूपी सरकार ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मद्देनजर पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया है. 

सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग में रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. रिटायर्ड आईएएस चोब सिंह वर्मा, रिटायर्ड आईएएस महेन्द्र कुमार, पूर्व लीगल एडवाइजर संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व अपर लीगल एडवाइजर व अपर जिला जज बृजेश कुमार सोनी को आयोग में शामिल किया गया है. आयोग निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा. उस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करेगी.

हाईकोर्ट के पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बिना चुनाव कराने के आदेश के बाद विपक्षी दल कांग्रेस, सपा और बसपा ने बीजेपी को निशाने पर ले लिया था, जबकि उनके शासनकाल में भी पिछड़ा वर्ग के रैपिड सर्वे के आधार पर ही निकाय चुनाव होते आए हैं. प्रदेश सरकार की ओर से अब पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करने के साथ ही ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रदेश में शुरू हुआ सियासी घमासान थम सकता है.

गौरतलब है कि निकायों में पिछड़े वर्ग के आरक्षण की व्यवस्था, उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 में वर्ष-1994 से की गई है. पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण देने के लिए अधिनियम में सर्वे कराए जाने की व्यवस्था भी की गई है. इसके अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक निकाय में पिछड़ा वर्ग का रैपिड सर्वेक्षण कराया जाता है. 1991 के बाद से अब तक नगर निकायों के सभी चुनाव (वर्ष-1995, 2000, 2006, 2012 एवं 2017) अधिनियम में दिए गए इन्ही प्राविधानों एवं रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कराए गए हैं. इतना ही नहीं पंचायती राज विभाग द्वारा पिछड़े वर्गों का रैपिड सर्वे मई वर्ष 2015 में कराया गया था. अब तक उसी सर्वे के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव 2015 और 2021 में कराया गया है.

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