
- एजुकेशन लोन लेने से पहले ट्यूशन फीस, रहने-खाने, किताबें, ट्रैवलिंग और बीमा जैसे खर्चों को समझना जरूरी है
- बैंकों की ब्याज दरें अलग-अलग होती हैं, इसलिए फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट की तुलना करके सही विकल्प चुनें
- लोन की अवधि के अनुसार मासिक किस्त और कुल ब्याज में फर्क होता है, जो आपकी आय पर निर्भर करता है
एजुकेशन आज के समय में बहुत जरूरी है. पर हर दिन के साथ पढ़ाई महंगी होती जा रही है, जिससे छात्रों और उनके माता-पिता के लिए ये एक बड़ी फाइनेंशियली चुनौती बन जाती है. ऐसे में एजुकेशन लोन एक शानदार विकल्प के रूप में सामने आता है, जो छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने में मदद करता है. लेकिन सही प्लानिंग और जानकारी के अभाव में यह भविष्य में बोझ बन सकता है. इस खबर में आपको उन जरूरी टिप्स के बारे में बताते हैं, जो एजुकेशन लोन लेने से पहले आपको पता होना चाहिए.
अपनी जरूरतों को समझें
सबसे पहले, आपको अपनी असल जरूरतों को समझना जरूरी है. सिर्फ ट्यूशन फीस ही नहीं, बल्कि इसमें रहने-खाने का खर्च, किताबें, ट्रैवलिंग, बीमा और दूसरे बड़े खर्चों को भी शामिल करें. कई बैंक इन सभी खर्चों को कवर करते हैं, लेकिन कुछ नहीं. इसलिए, यह पता कर लें कि जिस बैंक से आप लोन ले रहे हैं, वो आपकी जरूरतों को पूरा कर रहा है या नहीं.
ब्याज दर और रीपेमेंट की कंडीशन का पता करें
अलग-अलग बैंकों की ब्याज दरें अलग-अलग होती हैं. इसके अलावा रीपेमेंट कंडीशन भी अलग होते हैं. कुछ बैंक फ्लोटिंग ब्याज दर देते हैं, जो बाजार की स्थितियों के साथ बदलती रहती है, जबकि कुछ फिक्सड रेट के साथ लोन की सुविधा देते हैं. फिक्स रेट बेहतर हो सकती है क्योंकि यह आपको भविष्य में होने वाले ब्याज दर में वृद्धि से बचाती है.
लोन की अवधि जितनी लंबी होगी, आपकी मासिक किस्त (EMI) उतनी ही कम होगी, लेकिन कुल चुकाया जाने वाला ब्याज उतना ही अधिक होगा. अपनी मासिक आय और भविष्य की कमाई को ध्यान में रखते हुए एक सटीक पीरियड का चुनाव करें.
सब्सिडी और टैक्स बैनिफिट्स पर ध्यान दें
भारत सरकार छात्रों को एजुकेशन लोन पर कई तरह की सब्सिडी और टैक्स बैनिफिट्स देती है. आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए सरकार ब्याज सब्सिडी योजनाएं चलाती है. पता करें कि आपका एजुकेशन लोन इस प्रक्रिया में आता है या नहीं.
इनकम टैक्स के सेक्शन 80E के अनुसार, एजुकेशन लोन पर दिए गए ब्याज की राशि पर टैक्स कटौती का बैनिफिट मिलता है. इससे आपके लिए एक बड़ी बचत हो सकती है.
गारंटर और कोलैटरल की जरूरत
कुछ बैंक बिना किसी कोलैटरल (जमानत) के लोन देते हैं, जबकि कुछ अधिक राशि के लिए संपत्ति या दूसरी सुरक्षा की मांग करते हैं. इसके अलावा, कुछ मामलों में गारंटर की भी जरूरत हो सकती है. इसलिए लोन लेने से पहले सभी नियम पता कर लें.
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