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सिगरेट, गुटखा, तंबाकू और भी महंगे हो सकते हैं, सिन गुड्स पर सरकार का सख्त रुख, टैक्स घटेगा नहीं बढ़ेगा: CBIC

CBIC चेयरमैन संजय अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए 8 साल हो चुके हैं और अब सिस्टम स्टेबल हो चुका है. पिछले साल जीएसटी से कुल 22 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ, जो काफी मजबूत रहा. ऐसे में अब अगले लेवल के रिफॉर्म्स का समय है .

सिगरेट, गुटखा, तंबाकू और भी महंगे हो सकते हैं, सिन गुड्स पर सरकार का सख्त रुख, टैक्स घटेगा नहीं बढ़ेगा: CBIC
CBIC चेयरमैन ने NDTV प्रॉफिट GST कॉन्क्लेव में बताया कि पिछले 8 साल में GST सिस्टम काफी मजबूत हुआ है और इसे और सरल और पारदर्शी बनाने का अब समय है.
  • सरकार ने GST 2.0 के तहत टैक्स स्लैब को आसान बनाया है लेकिन सिन गुड्स पर 40 % तक टैक्स लगाने की सिफारिश की है.
  • सिगरेट, गुटखा, तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों पर टैक्स में कोई राहत नहीं, बल्कि अतिरिक्त लेवी भी लग सकती है.
  • नया जीएसटी स्ट्रक्चर 22 सितंबर 2025 से लागू होगा जिसमें केवल दो टैक्स रेट 5 और 18 प्रतिशत रहेंगे.
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नई दिल्ली:

देश में टैक्स सिस्टम को आसान बनाने के लिए हाल में सरकार ने GST 2.0 के तहत जीएसटी स्लैब में बदलाव किया है. जिसमें कई सारे प्रोडक्ट्स पर टैक्स कम किया गया है लेकिन जो लोग सोच रहे थे कि सिगरेट, गुटखा या तंबाकू जैसे प्रोडक्ट्स पर टैक्स कम हो सकता है, उन्हे झटका लगा है, क्योंकि सिन गुड्स पर अब 40% GST लगेगा.

इसके साथ ही CBIC चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने साफ कर दिया कि सिन गुड्स पर टैक्स में किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी. अभी इन प्रोडक्ट्स पर अधिकतम 40% तक GST लगाने की सिफारिश की गई है और इसके ऊपर भी संवैधानिक प्रावधानों के तहत अतिरिक्त लेवी लगाई जा सकती है.

22 सितंबर से लागू होगा नया GST स्ट्रक्चर

GST काउंसिल ने हाल ही में फैसला लिया है कि अब टैक्स स्लैब को आसान बनाया जाएगा. 5% और 18% के दो रेट रहेंगे और कुछ प्रोडक्ट्स को सबसे ऊंचे टैक्स ब्रैकेट यानी 40% में डाला जाएगा. यह नया स्ट्रैक्चर 22 सितंबर 2025 से लागू हो जाएगा.

सिन गुड्स पर सरकार का सख्त रुख

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम (CBIC) चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने NDTV प्रॉफिट GST Conclave में साफ कहा कि सिन गुड्स पर टैक्स घटाने का कोई सवाल ही नहीं है. फिलहाल इन प्रोडक्ट्स पर जीएसटी काउंसिल ने 40 फीसदी तक टैक्स लगाने की सिफारिश की है. इसके अलावा संवैधानिक प्रावधानों के तहत सरकार चाहें तो अतिरिक्त लेवी भी लगा सकती है, ताकि टैक्स का बोझ कम न हो. यानी तंबाकू और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स आने वाले समय में और महंगे हो सकते हैं.

सिगरेट, गुटखा और तंबाकू होंगे और महंगे

सिगरेट, गुटखा, पान मसाला और तंबाकू प्रोडक्ट्स पहले से ही हाई टैक्स स्लैब में आते हैं. इन पर अभी 28% GST के साथ सेस लगता है, जिससे कुल टैक्स 88% तक पहुंच जाता है. अब सरकार का कहना है कि टैक्स बोझ किसी हाल में कम नहीं होगा. यानी आने वाले दिनों में ये प्रोडक्ट्स और महंगे हो सकते हैं.

GST 2.0 पर भी बोले चेयरमैन

CBIC चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए 8 साल हो चुके हैं और अब सिस्टम स्टेबल हो चुका है. पिछले साल जीएसटी से कुल 22 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ, जो काफी मजबूत रहा. ऐसे में अब अगले लेवल के रिफॉर्म्स का समय है .

उन्होंने बताया कि अभी तक जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 फीसदी जैसे कई स्लैब थे, जिससे जटिलता और विवाद बढ़ रहे थे. अब सरकार इसे आसान बनाने की दिशा में काम कर रही है. जीएसटी 2.0 में दो रेट स्ट्रक्चर रखा गया है  एक 18 फीसदी का स्टैंडर्ड रेट और दूसरा 5 फीसदी का मेरिट रेट.

क्या देश में सिंगल जीएसटी सिस्टम लागू होगा?

सवाल ये भी उठा कि क्या भारत एक ही जीएसटी रेट की तरफ बढ़ेगा. इस पर चेयरमैन ने कहा कि ऐसा तभी संभव होगा जब देश में इनकम लेवल बराबर हो जाए और हर कोई सामान आसानी से खरीद सके. अभी 5 फीसदी का मेरिट रेट इसलिए रखा गया है ताकि आम आदमी पर बोझ न बढ़े.

तंबाकू पर टैक्स में कोई राहत नहीं

बता दें कि काफी चर्चा इस बात पर भी हुई कि तंबाकू पर 40% जीएसटी के अलावा क्या कोई और टैक्स लगाया जा सकता है. चेयरमैन का कहना था कि सरकार का स्टैंड बिल्कुल साफ है टैक्स घटेगा नहीं. अगर जरूरत पड़ी तो संवैधानिक प्रावधानों का इस्तेमाल कर के अतिरिक्त लेवी भी लगाई जाएगी.इसका मतलब साफ है कि सिगरेट, गुटखा और तंबाकू जैसे प्रोडक्ट्स आम लोगों की जेब पर और भारी पड़ेंगे.

सरकार का मकसद क्या है?

सरकार के इस फैसले से साफ है कि आने वाले वक्त में सिगरेट, गुटखा और तंबाकू प्रोडक्ट्स और भी महंगे हो जाएंगे.सरकार का कहना है कि तंबाकू, गुटखा और कोल्ड ड्रिंक जैसे प्रोडक्ट्स सिन गुड्स यानी समाज और सेहत के लिए हानिकारक माने जाते हैं. इन पर ज्यादा टैक्स लगाने का मकसद है एक तरफ इनकी खपत को कम करना और दूसरी तरफ ज्यादा रेवेन्यू जुटाना, ताकि र टैक्स कलेक्शन मजबूत बना रहे और यह पैसा हेल्थ और वेलफेयर प्रोग्राम्स में लगाया जा सके.

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