इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) कैसे फाइल करें - स्टेप बाई स्टेप गाइड

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का सबसे आसान तरीका है, ई-फाइलिंग, यानी इनकम टैक्स रिटर्न को ऑनलाइन फाइल करना, सो आइए, जानते हैं ई-फाइलिंग का तरीका.

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) कैसे फाइल करें - स्टेप बाई स्टेप गाइड

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का सबसे आसान तरीका है - ई-फाइलिंग...

इनकम टैक्स रिटर्न, यानी आयकर रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने, यानी फाइल करने के लिए अब कुछ ही दिन बचे हैं. वित्तवर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त है. समय रहते इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि अंतिम दिनों में जल्दबाज़ी में रिटर्न फाइल करते समय हो सकने वाली गड़बड़ियों और गलतियों की गुंजाइश खत्म हो जाती है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का सबसे आसान तरीका है, ई-फाइलिंग, यानी इनकम टैक्स रिटर्न को ऑनलाइन फाइल करना, सो आइए, जानते हैं ई-फाइलिंग का तरीका.

इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिग की स्टेप बाई स्टेप गाइड...

  1. इनकम टैक्स रिटर्न को ऑनलाइन दाखिल करने की प्रक्रिया ई-फाइलिंग (e-Filing) कहलाती है, जो काफी सरल है. यदि आपके पास सभी संबंधित कागज़ात और हिसाब-किताब तैयार हैं, तो अपना कम्प्यूटर या लैपटॉप खोलकर आप कुछ ही मिनटों में किसी भी दिक्कत का सामना किए बिना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले आपको आयकर विभाग की वेबसाइट https://incometaxindiaefiling.gov.in पर जाना होगा.

  2. इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग के लिए आपको सबसे पहले इनकम टैक्स विभाग की इस वेबसाइट पर एकाउंट बनाना होगा, जिसके लिए आपको अपने PAN नंबर जन्मतिथि (यानी date of birth) का इस्तेमाल करना होगा. इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर क्लिक कर आप खुद यह एकाउंट बना सकते हैं, और आपका PAN नंबर ही आपका यूज़र आईडी बनेगा. (यह भी पढ़ें : इनकम टैक्स गाइड : HRA पर मिलने वाली छूट कैसे कैल्कुलेट करें...)

  3. एकाउंट बनाकर उसमें लॉग-इन करने के बाद अब आफके पास ई-फाइलिंग के लिए दो तरीके उपलब्ध होते हैं. इनमें से पहला तरीका है - आयकर विभाग की वेबसाइट के डाउनलोड सेक्शन में जाकर अपनी कैटेगरी के मुताबिक आवश्यक फॉर्म डाउनलोड कर लें. इस फॉर्म को कम्प्यूटर में सेव करने के बाद इसे उचित तरीके से भर लें. जब यह फॉर्म भर लिया जाए, तो जेनरेट एक्सएमएल (generate XML) के बटन पर क्लिक करें. XML फाइल जेनरेट हो जाने के बाद इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर दोबारा लॉग-इन करें, और इस बार अपलोड एक्सएमएल (upload XML) का बटन दबाएं, और XML फाइल को अपलोड कर दें, और अंत में सबमिट (submit) पर क्लिक करें. (यह भी पढ़ें : अगर एचआरए (HRA) छूट पाने के लिए मां-बाप को देते हैं किराया, तो हो जाइए सावधान...)

  4. इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फाइलिंग का दूसरा तरीका भी काफी आसान है. इसके लिए वेबसाइट के e-file section पर जाइए, लॉग-इन कीजिए, जो फॉर्म और असेसेमेंट ईयर (आकलन वर्ष) अपेक्षित है, उसे चुनकर संबंधित जानकारी फॉर्म में भर दें.

  5. इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर फॉर्म चुनते समय यह सावधानी ज़रूर बरतें कि चुना गया फॉर्म आपकी कैटेगरी के मुताबिक हो. इन्डिविजुअल (सैलरी), पेंशन इनकम, एक मकान (एक प्रॉपर्टी) से इनकम या अन्य स्रोतों से आय (लॉटरी के अतिरिक्त) वाले लोगों के मामले में फॉर्म ITR-1, जिसे 'सहज' भी कहा जाता है, सेलेक्ट करना होगा. पूंजीगत लाभ होने की दशा में ITR-2 सेलेक्ट करना होगा. एक से अधिक घर होने की दशा में ITR-2A चुनें, लेकिन इस केस में कोई पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) नहीं होना चाहिए. ITR-3, ITR-4, ITR-4S फॉर्म कारोबारियों और प्रोफेशनल्स के लिए है. (यह भी पढ़ें : ग्रेच्युटी क्या है, कैसे की जाती है कैलकुलेट – सब कुछ जानें)

  6. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय अपने पास ये दस्तावेज़ ज़रूर रखें - PAN नंबर, फॉर्म 16, बैंक खातों पर मिला संबंधित वित्तवर्ष का कुल ब्याज, टीडीएस (TDS) संबंधी जानकारी तथा सभी तरह के बचत व निवेश संबंधी सबूत. होम लोन और इंश्योरेंस संबंधी दस्तावेज़ भी पास रखें, आसानी होगी. इसके अलावा आप इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट से फॉर्म 26AS भी डाउनलोड कर सकते हैं, जो आपकी ओर से अब तक विभिन्न स्रोतों से की गई TDS कटौती का विवरण पेश करता है. अपना टैक्स रिटर्न वैलिडेट करने के लिए इस फॉर्म का सहारा लिया जा सकता है.

  7. जिन लोगों की वार्षिक आय 50 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें एक और नियम याद रखना होगा. ऐसे करदाताओं को अपने फॉर्म में दिया गया एक अतिरिक्त कॉलम AL भरना होगा, जिसमें उन्हें अपनी सभी संपत्तियों का मूल्य और देनदारियों के बारे में मांगी गई जानकारी भरनी होगी. AL का अर्थ है - एसैट्स और लायबिलिटीज़. (यह भी पढ़ें : क्या है PF, यानी प्रॉविडेंट फंड - जानें पीएफ से जुड़े सभी सवालों के जवाब...)

  8. यदि आप डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर इनकम टैक्स रिटर्न सबमिट करते हैं, तो इसके बाद acknowledgement number, यानी एक प्रकार की रसीद जेनरेट होती है. यदि डिजिटल सिग्नेचर के बिना फॉर्म सबमिट किया गया है, तो ITR-V जेनरेट होगा और यह आपके रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर पहुंच जाएगा. ITR-V भी इस बात की रसीद है कि आपका रिटर्न सबमिट हो चुका है.

  9. लेकिन अभी प्रक्रिया पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. अब इस ITR-V पर दस्तखत कर इसे बेंगलुरू कार्यालय (जहां आपका रिटर्न प्रोसेस होता है) भेजना होगा. 120 दिन के भीतर दस्तखतशुदा ITR-V संबंधित कार्यालय तक पहुंच जाना चाहिए, ताकि टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया पूर्ण हो सके. यदि यह काग़ज़ आप समय से बेंगलुरू कार्यालय नहीं पहुंचाएंगे, तो इनकम टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया अधूरी मानी जाएगी, सो, इसकी अनदेखी कतई न करें. वैसे, बेंगलुरू कार्यालय का पता ITR-V में ही सबसे नीचे लिखा रहता है, बस, ITR-V को उस पते पर साधारण डाक से भेज दें.

  10. इसके अलावा, करदाता इसी वेबसाइट पर ई-वेरिफाई रिटर्न ऑप्शन पर जाकर अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को ई-वेरिफाई भी कर सकते हैं. नेट बैंकिंग के ज़रिये भी इसे वेरिफाई किया जा सकता है. यदि आप इस विकल्प को चुनते हैं, तो आपका काम ITR-V को बेंगलुरू ऑफिस तक रवाना किए बिना भी पूरा हो जाएगा.