India | Reported by: भाषा |गुरुवार फ़रवरी 1, 2024 03:36 AM IST न्यायमूर्ति गोखले ने कहा कि नियम किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते, न ही वे एकतरफा हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में नियम फर्जीवाड़े से परे तथ्यों पर चर्चा और सूचना के प्रसार को प्रोत्साहित करते हैं, जबकि, न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि सरकार जबरदस्ती भाषण को सही या ग़लत के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकती है और इसे हटाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है, क्योंकि यह एक तरह से ‘‘सेंसरशिप’’ के समान होगा.