World | रविवार सितम्बर 19, 2021 12:20 AM IST पंजशीर घाटी में एक बूढ़ा व्यक्ति अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों के खिलाफ अंतिम प्रतिरोध के करने वाले सेनानियों का दुखद वर्णन करता है: "उनमें से बहुत सारे थे." अब्दुल वजीद खेंज गांव में एक बंद दुकान के दरवाजे के सामने झुके, फिर कहा कि सितंबर में राजधानी काबुल के उत्तर में घाटी के मुहाने पर समूह की सेनाएं एकत्रित हुईं. संकरी घाटी से गुजरते हुए तालिबान के दर्जनों बख्तरबंद वाहनों का नजारा उनकी यादों में ज्वलंत हो जाता है. उन्होंने कहा, "हम और कुछ नहीं कर सकते थे."