अफगानिस्तान (Afghanistan) की पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) में चल रहे खूनी संघर्ष और मानवीय संकट पर प्रकाश डालते हुए अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Ex Afghan Vice President Amrullah Saleh) ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) से विद्रोही बलों के गढ़ में तालिबान के हमले को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का आह्वान किया है.
पंजशीर घाटी की मौजूदा स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र को लिखे एक पत्र में सालेह ने कहा है कि तालिबान द्वारा आर्थिक नाकेबंदी, दूरसंचार ब्लैकआउट के कारण पंजशीर प्रांत और बगलान प्रांत के तीन अंद्राब जिलों में बड़े पैमाने पर मानवीय संकट पैदा हो रहा है.
सालेह ने अपने पत्र में कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पंजशीर प्रांत में तालिबान के हमले को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने और हजारों विस्थापितों और बंधक नागरिकों को बचाने के लिए एक राजनीतिक समाधान को प्रोत्साहित करने का अनुरोध करते हैं."
तालिबान लड़ाके और विद्रोही बल काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी पर नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यह अंतिम अफगान प्रांत है, जो तालिबान के कब्जे में नहीं है. सालेह, प्रसिद्ध अफगान कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे-अहमद मसूद और अन्य विद्रोही नेताओं के साथ पंजशीर घाटी में ही हैं और तालिबान को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं.
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि तालिबान और अन्य विदेशी समूहों ने पंजशीर और उत्तरी अफगानिस्तान के अन्य मुक्त क्षेत्रों के खिलाफ एक शातिर हमला किया है. "स्थानीय महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और 10,000 आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों सहित लगभग 2,50,000 लोग जो काबुल और अन्य बड़े शहरों पर तालिबान के कब्जे के बाद पंजशीर पहुंचे थे, वे भी इन घाटियों के अंदर फंस गए हैं और इस अमानवीय नाकाबंदी के परिणामों से पीड़ित हैं. "
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