
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के कोचिंग हब कोटा में एक NEET की छात्रा द्वारा आत्महत्या के मामले में केवल इनक्वेस्ट (मर्ग) दर्ज करने और “अमिर कुमार” केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध जाकर FIR दर्ज न करने के लिए कोटा पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित पुलिस अधिकारियों को समन जारी किया और पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया.
राजस्थान की ओर से रखी गई ये दलील
राजस्थान राज्य की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि कोटा पुलिस द्वारा पहले ही इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है और जांच भी जारी है तथा अब तुरंत FIR भी दर्ज की जाएगी. उन्होंने यह भी अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा राजस्थान में छात्रों की अस्वाभाविक मौतों और आत्महत्याओं की जांच हेतु एक विशेष जांच टीम (SIT) पहले ही गठित की जा चुकी है, ताकि इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लिया जा सके.
देरी से न्याय और जवाबदेही दोनों प्रभावित
कोर्ट ने एएजी शर्मा को निर्देश दिया कि — “आप इस मुद्दे को उच्चतम स्तर तक उठाएं.” “मैं इस माननीय न्यायालय का प्रथम अधिकारी हूं, और मैं lordships को आश्वस्त करता हूं कि जांच विधि अनुसार तार्किक परिणति तक पहुंचाई जाएगी,” ऐसा एएजी शर्मा ने कहा. माननीय न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने 6 मई 2025 और 13 मई 2025 को पारित अपने पूर्व आदेशों में FIR दर्ज करने में देरी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी — चाहे वह IIT खड़गपुर की घटना हो या कोटा आत्महत्या मामला — और कहा कि इस तरह की देरी से न्याय और जवाबदेही दोनों प्रभावित होते हैं.
6 मई को, न्यायालय ने यह रेखांकित किया था कि कोटा में वर्ष 2025 में यह 14वीं आत्महत्या थी, जबकि 2024 में 17 आत्महत्याएं दर्ज की गई थीं. न्यायालय ने पूछा था कि क्या इस आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज की गई है या नहीं. 13 मई को, न्यायालय ने IIT खड़गपुर के रजिस्ट्रार और छत्तीसगढ़ के संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था, ताकि वे देरी का स्पष्टीकरण दें. दोनों अधिकारी आज पेश हुए, जिस पर अदालत ने FIR दर्ज करने में हुई निष्क्रियता को दर्ज किया.
कोचिंग संस्थान की ओर से मुकुल रोहतगी ने क्या कहा
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, जो कोटा के कोचिंग संस्थान की ओर से पेश हुए, उन्होंने दलील दी कि छात्रा ने नवंबर 2024 में संस्थान छोड़ दिया था और अपने माता-पिता के साथ कोटा में रह रही थी. उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय भी समानांतर रूप से इस मामले की निगरानी कर रहा है, अतः इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि यह अदालत पहले से इस विषय पर विचार कर रही है.
यह मामला अब १४ जुलाई को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जहाँ सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करेगा ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके.
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