
सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग हब कोटा में छात्रों की आत्महत्या (Supreme Court On Kota Student Suicide Case) पर राजस्थान सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि एक राज्य के तौर पर आप क्या कर रहे हैं. छात्र केवल कोटा में ही क्यों आत्महत्या कर रहे हैं. आपने इस बारे में क्या किया है. क्या आपने एक राज्य के तौर पर इस पर कोई विचार किया है. इस मामले में SIT ने क्या किया है. अदालत ने नोट किया कि कोटा के छात्र के मामले में कोई FIR दर्ज नहीं की गई.
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कोटा पुलिस को लगाई फटकार
अदालत ने कोटा में एक NEET की छात्रा द्वारा आत्महत्या के मामले में केवल इनक्वेस्ट (मर्ग) दर्ज करने और 'अमिर कुमार' केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ जाकर FIR दर्ज न करने के लिए कोटा पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित पुलिस अधिकारियों को समन जारी किया और पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया.
FIR क्यों दर्ज नहीं की गई?
अदालत ने सरकार से पूछा कि कोई FIR क्यों दर्ज नहीं की गई. ये अदालत के फैसले की अवमानना है. कोटा में अब तक कितने युवा छात्रों की मौत हुई है. आखिर ये छात्र क्यों मर रहे हैं. अदालत ने कोटा के पुलिस अधिकारी को तलब कर पूछा कि एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई. मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी.
IIT खड़गपुर के छात्र की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एफआईआर दर्ज करने में चार दिन की देरी क्यों हुई. ये बहुत गंभीर मामले हैं. इनको हल्के में न लें. सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए देश में बार-बार होने वाली छात्र आत्महत्याओं पर इस साल की शुरुआत में दिए गए अपने फ़ैसले का हवाला दिया.
'हम बहुत सख्त रुख अपना सकते हैं'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ़ैसले के अनुसार तुरंत एफ़आईआर दर्ज होनी चाहिए. वरना हम इस मामले पर बहुत सख्त रुख़ अपना सकते हैं. लेकिन हम इस समय इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है, FIR भी दर्ज होगी
राजस्थान राज्य की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि कोटा पुलिस द्वारा पहले ही इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है और जांच भी जारी है. अब तुरंत FIR भी दर्ज की जाएगी. उन्होंने यह भी अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा राजस्थान में छात्रों की अस्वाभाविक मौतों और आत्महत्याओं की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) पहले ही गठित की जा चुकी है, ताकि इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लिया जा सके.कोर्ट ने एएजी शर्मा को निर्देश दिया कि आप इस मुद्दे को उच्चतम स्तर तक उठाएं.
- माननीय न्यायमूर्ति जेबी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने 6 मई 2025 और 13 मई 2025 को पारित अपने पूर्व आदेशों में FIR दर्ज करने में देरी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. चाहे वह IIT खड़गपुर की घटना हो या कोटा आत्महत्या मामला, और कहा कि इस तरह की देरी से न्याय और जवाबदेही दोनों प्रभावित होते हैं.
- 6 मई को, न्यायालय ने यह रेखांकित किया था कि कोटा में वर्ष 2025 में यह 14वीं आत्महत्या थी, जबकि 2024 में 17 आत्महत्याएं दर्ज की गई थीं. न्यायालय ने पूछा था कि क्या इस आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज की गई है या नहीं.
- 13 मई को, न्यायालय ने IIT खड़गपुर के रजिस्ट्रार और छत्तीसगढ़ के संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था, ताकि वे देरी का स्पष्टीकरण दें. दोनों अधिकारी आज पेश हुए, जिस पर अदालत ने FIR दर्ज करने में हुई निष्क्रियता को दर्ज किया.
मुकुल रोहतगी ने क्या कहा?
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, जो कोटा के कोचिंग संस्थान की ओर से पेश हुए, उन्होंने दलील दी कि छात्रा ने नवंबर 2024 में संस्थान छोड़ दिया था और अपने माता-पिता के साथ कोटा में रह रही थी. उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय भी समानांतर रूप से इस मामले की निगरानी कर रहा है, अतः इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि यह अदालत पहले से इस विषय पर विचार कर रही है.
यह मामला अब 14 जुलाई को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जहां सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करेगा, ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके.
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