- सीकर जिले के नीमकाथाना इलाके के हसामपुर गांव में 125 साल पुरानी हवेली की खुदाई में लोहे की तिजोरी मिली है
- पाटन पुलिस ने तिजोरी को जब्त कर सील कर दिया है और उसे सुरक्षित पाटन थाने में रखवाया गया है
- तिजोरी के अंदर खजाने या कीमती सामान होने की ग्रामीणों में आशंका और अफवाहें फैल रही हैं
सीकर जिले के नीमकाथाना इलाके के हसामपुर गांव में एक रोमांचक खोज ने सभी को चौंका दिया है. पाटन थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस गांव की करीब 125 साल पुरानी हवेली में खुदाई के दौरान जमीन के भीतर दबी हुई एक पुरानी लोहे की तिजोरी मिली है. तिजोरी मिलने की खबर आग की तरह फैली, जिसके बाद मौके पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई.
भारी-भरकम तिजोरी से क्या निकला?
सूचना मिलते ही पाटन पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और मामले की जानकारी ली. किसी भी प्रकार के जोखिम से बचने के लिए पुलिस ने तत्काल तिजोरी को जब्त कर सील कर दिया और उसे सुरक्षित रूप से पाटन थाने में रखवाया गया है. ग्रामीणों के बीच यह अंदेशा है कि तिजोरी के अंदर "पुराना खजाना या कीमती सामान" हो सकता है. देखते ही देखते, इस रहस्यमयी तिजोरी के बारे में तरह-तरह की अफवाहें फैलनी शुरू हो गईं, और अब हर कोई इसके खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.
Sikar जिले के हसामपुर गांव में खुदाई के दौरान करीब 125 साल पुरानी हवेली से एक रहस्यमयी तिजोरी मिलने से सनसनी फैल गई. फिलहाल पुलिस ने तिजोरी को जब्त कर जांच शुरू कर दी है और तिजोरी में क्या है ये तो तिजोरी के खोलने के बाद ही पता चलेगा.#Rajasthan #Sikar pic.twitter.com/WThY9QdqtG
— NDTV India (@ndtvindia) November 17, 2025
हवेली का इतिहास और वर्तमान मालिक
यह ऐतिहासिक हवेली कभी मुसद्दीलाल तिवाड़ी के नाम से जानी जाती थी, जिनके परिजन गांव छोड़कर अब उड़ीसा और दिल्ली में बस चुके हैं. बाद में हवेली पहले शक्ति सिंह द्वारा खरीदी गई थी, जिसे बाद में गोविंद शर्मा, जले सिंह जाटवास, और धर्मपाल सैनी को बेच दिया गया. इन्हीं वर्तमान मालिकों द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्य के दौरान अचानक यह पुरानी तिजोरी जमीन के नीचे से सामने आई.
दोनों पक्षों की मौजूदगी में खुलेगी तिजोरी
पाटन पुलिस ने इस मामले में आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस ने हवेली के वर्तमान मालिक और तिवाड़ी परिवार के सदस्यों (पुराने मालिक) को इसकी सूचना भेज दी है. पुलिस का कहना है कि तिजोरी को दोनों पक्षों की उपस्थिति में ही खोला जाएगा. इसके बाद ही तिजोरी के अंदर मौजूद सामान का खुलासा हो पाएगा और यह पता चल सकेगा कि आखिर इस सवा सौ साल पुराने रहस्य में क्या छिपा है.
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