राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एलएसी) के पास चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य में 508 हेक्टेयर क्षेत्र में भारतीय वायु सेना के अड्डे के उन्नयन के प्रस्ताव को अनुमति दे दी है. इसके अलावा बोर्ड ने चांगथांग और काराकोरम वन्यजीव अभयारण्यों में भी नौ और रणनीतिक परियोजनाओं को अनुमति प्रदान कर दी है. भारत, एलएसी के पास रक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना चाहता है.
वायुसेना ने चीन के साथ सीमा गतिरोध शुरू होने के कुछ महीनों बाद 12 दिसंबर, 2020 को राज्य वन्यजीव बोर्ड को अपने अड्डे के उन्नयन के लिए एक प्रस्ताव सौंपा था. राज्य बोर्ड ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके महत्व को स्वीकार करते हुए 29 जून को एक बैठक में इसे अनुमति प्रदान कर दी.
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में 29 जुलाई को एक बैठक में वायुसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी. वायुसेना ने अभी तक परियोजना को लेकर पर्यावरणीय अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया है. स्थायी समिति ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 40-50 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख में माहे फील्ड फायरिंग रेंज (एमएफएफआर) की पुनः अधिसूचना के लिए चांगथांग अभयारण्य से 1259 हेक्टेयर भूमि को हटाने के प्रस्ताव को भी अनुमति दे दी है.
एमएफएफआर की पुन: अधिसूचना 2014 से ही लंबित है. अभी, यह पूरे पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एकमात्र फायरिंग रेंज है, जहां सभी प्रकार के हथियारों से गोलीबारी की जा सकती है. स्थायी समिति ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तीन प्रमुख सड़कों के उन्नयन के प्रस्तावों को भी मंजूरी दे दी. इसके अलावा दोनों अभयारण्यों में आप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया गया है.
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