दिल्ली सरकार की ओर से चलाए जा रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में फंड की कमी की खबर सामने आई है. कॉलेज के पास स्टाफ को देने के लिए पैसे नहीं हैं. कॉलेज प्रशासन ने एक नोटिस जारी कर कहा कि अस्सिटेंट प्रोफेसरों के वेतन से 30 हजार और एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों के वेतन से 50 हजार रुपये रोके जा रहे हैं. यह कटौती जुलाई के वेतन से की गई है. कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल ने नोटिस में कहा कि जैसे ही फंड उपलब्ध होगा वेतन जारी कर दिया जाएगा. इस कॉलेज को दिल्ली सरकार की ओर से 100 प्रतिशत फंडिग होती है और इसकी स्थापना 1990 में की गई थी. इससे पहले आम आदमी पार्टी के शासन वाले पंजाब में सरकारी कर्मचारियों को वेतन मिलने में एक सप्ताह की देरी हुई थी, हालांकि राज्य के वित्त मंत्री ने कहा था कि ऐसा तकनीकी कारणों से हुआ था और खजाना खाली होने की बातें अफवाह हैं.
बीजेपी के नेता ने किया ये ट्वीट
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि अरविंद केजरीवाल ने अपने 'शिक्षा मॉडल' की प्रशंसा करने के लिए विज्ञापनों और पीआर स्टोरीज के लिए सैकड़ों करोड़ों का भुगतान किया, लेकिन उसके पास दिल्ली के शिक्षकों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं.
कॉलेज के पास है 30 करोड़ की FD : आप
इस पर आप के नेता सौरभ भारद्वाज ने बयान दिया है कि अगर किसी कॉलेज को दिल्ली सरकार ने फंड दे दिया और दिल्ली सरकार ने उनसे यह पूछा कि हमने जो पैसा दिया आपने कहां खर्चा किया उसका ब्यौरा आप सरकार को दीजिए. जो भी संस्था पैसा देगी, वह ब्यौरा मांगेगी कि कॉलेज हिसाब दे कि कहां खर्चा किया है. मेरी जानकारी में कॉलेज के पास ₹30 करोड़ की FD है. कॉलेज उस पैसे को रखकर अपने टीचर्स को तनख्वाह नहीं देना चाह रहा, इसका क्या कारण है?
बीजेपी नेतृत्व बना रहा एजेंडा : AAP
लेकिन मोटे तौर पर मैं बताना चाहूंगा कि अगर एक कॉलेज के अंदर तनख्वाह नहीं मिली ये BJP के केंद्रीय नेतृत्व का अगर एजेंडा बन रहा है तो इसके पीछे मंशा सिर्फ यह है कि गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के ऊपर सवालिया निशान लगाया जाए और किसी भी तरीके से इन को बंद करने का पूरा माहौल बनाया जाए. बीजेपी खुलकर गरीबों के विरोध में नहीं आना चाहती, क्योंकि उनको मालूम है कि अगर गरीब नाराज हो गया तो दोबारा किसी राज्य के अंदर सरकार नहीं बनेगी, मगर पीछे के रास्ते से अरविंद केजरीवाल की कल्याणकारी योजनाओं के ऊपर हमला करने से बीजेपी बाज नहीं आ रही.
हम पहले से ज्यादा पैसा दे रहे, फिर कॉलेज पैसे का रोना रो रहे : आप
दरअसल, दिल्ली यूनिवर्सिटी के 28 कॉलेज दिल्ली सरकार फंड करती है. इन 28 में से 12 कॉलेज 100% और 16 कॉलेज आंशिक रूप से दिल्ली सरकार फंड करती है. दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज 100% दिल्ली सरकार ही फंड करती है, लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार दिल्ली सरकार और इन कॉलेजों के बीच में लगातार विवाद चल रहा है, क्योंकि कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी के तहत आते हैं जबकि पैसा दिल्ली सरकार देती है.
अभी का मामला तो केवल एक कॉलेज का मामला है जिसमें आंशिक रूप से टीचर्स का कुछ पैसा रोका गया है जबकि इसके पहले भी कई बार ऐसा वाह जब विवाद के चलते टीचर का वेतन 3-3 महीने तक नहीं मिल सका. दिल्ली सरकार इन मामलों में लगातार यह कहती रही कि हम पहले से ज्यादा पैसा दे रहे हैं फिर भी कॉलेज पैसे का रोना रो रहे हैं, साथ ही दिल्ली सरकार का कहना था कि इन कॉलेजों में अनियमितता और भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है, जिसकी जांच करवाई जा रही है.
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