मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट ने दिल्ली से प्रवीन कुमार वाल्मीकि नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है. आरोपी प्रवीन पर आरोप है कि उसने खुदको केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का निजी सहयाक (पीए) बताकर मुंबई पुलिस कमिश्नर के जनता दरबार में तीन लोगों की एंट्री करवाई थी.
दरअसल, पिछले मंगलवार को मुंबई पुलिस मुख्यालय में हुए जनता दरबार में तीन लोग फर्जी पहचान के ज़रिए अंदर घुस गए थे. इन तीनों शख्स की पहचान अशोक शाह (58), जो सांताक्रूज़ का बिजनेसमैन है; जीतेन्द्र व्यास (57), कांदिवली से; और धिरेन्द्र कुमार व्यास (52), भायंदर निवासी. तीनों को अंदर आने के लिए फोन पर “गृह मंत्रालय के पीए” के नाम से अनुमति दिलवाई गई थी.
दिल्ली से मिली लीड, ट्रेस हुआ मास्टरमाइंड
घटना के बाद जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो धिरेन्द्र के मोबाइल से मिले कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स में “दिल्ली भारत मैन” नाम से एक नंबर मिला. इसी नंबर के जरिए पुलिस की टीम दिल्ली पहुंची और आरोपी प्रवीन वाल्मीकि को पकड़ लिया. वाल्मीकि दिल्ली के होलंबी कलां इलाके का रहने वाला है और ठेके पर दिल्ली नगर निगम (MCD) को मज़दूर उपलब्ध कराने का काम करता है. जांच में सामने आया कि वो अपने नाम से रजिस्टर्ड सिम कार्ड इस्तेमाल करता था, लेकिन व्हाट्सएप और कॉलर आईडी पर अपनी पहचान “भारत मैन” या “भारत भाई” के रूप में दिखाता था.
संपर्कों का जाल: दिल्ली से पुणे, फिर मुंबई
पुलिस सूत्रों के अनुसार करीब तीन महीने पहले वाल्मीकि की मुलाकात दिल्ली के पूर्व पार्षद विजेंद्र यादव से हुई थी। इसी के ज़रिए वह सचिन साराफ नाम के एक रियल एस्टेट कारोबारी से जुड़ा, जो पुणे का रहने वाला है। सचिन ने उसे बताया कि अगर वह कुछ “सेटिंग” वाले कामों में मदद करे तो अच्छी कमाई हो सकती है।
बाद में, अक्टूबर 2025 में उत्तराखंड भवन, दिल्ली में एक मीटिंग हुई, जहां सचिन ने प्रवीन की मुलाकात मुंबई के धिरेन्द्र व्यास से करवाई. धिरेन्द्र ने बताया कि उसे मुंबई पुलिस कमिश्नर से मिलने का काम है और वह चाहता है कि प्रवीन इस मुलाकात की व्यवस्था करवाए.
फर्जी कॉल से मिली दरबार में एंट्री
28 अक्टूबर को धिरेन्द्र ने मुंबई पुलिस मुख्यालय के बाहर से प्रवीन को कॉल किया और बताया कि उसे अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है. इस पर प्रवीन ने तुरंत वहां के सुरक्षा अधिकारियों को फोन कर खुद को “भारत मैन, गृह मंत्रालय दिल्ली” बताते हुए अंदर एंट्री देने का आदेश दिया. इसके बाद गार्ड्स ने तीनों को अंदर जाने दिया.
लेकिन जब तीनों को कमिश्नर से मुलाकात नहीं हुई और शक होने पर पूछताछ शुरू हुई, तो धिरेन्द्र और सचिन ने फिर प्रवीन को फोन कर मदद मांगी. मामले के बिगड़ते हालात देखकर प्रवीन ने खुद को बचाने के लिए 30 अक्टूबर को एक ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई, जिसमें लिखा कि उसका मोबाइल 24 अक्टूबर को “खो गया था”, जबकि उसी फोन से उसने जनता दरबार में फर्जी कॉल किया था.
इसी सिलसिले में पुणे के आईटी कंसल्टेंट सचिन साराफ को भी पूछताछ के लिए नोटिस दिया गया है, जो उसे 3 नवंबर को पेश होने के निर्देश देता है. फिलहाल प्रवीन वाल्मीकि की गिरफ्तारी के बाद उसका मोबाइल जब्त करने की कार्रवाई जारी है.
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