सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लड़की से अकेले में बात की. उसके बाद फैसला दिया.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने 23 साल की लड़की को उस वक्त आजाद कर दिया जब उसने कोर्ट में कहा कि वो अपने पति नहीं बल्कि मां- पिता के साथ रहना चाहती है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उसके घरवालों को कोर्टरूम से बाहर भेजकर फिर से उससे पूछा कि उस पर कोई दबाव तो नहीं है, लेकिन लड़की ने इससे इनकार किया. हालांकि उसने ये माना कि मुस्लिम युवक से शादी की थी जो धर्म परिवर्तन कर हिंदू बन गया था. लड़की ने कहा कि उससे बहलाकर शादी की गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो वैवाहिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं कर कहा है. दरअसल छत्तीसगढ़ में 23 साल की एक हिंदू लड़की से शादी करने वाले मुसलमान से हिंदू बनने 33 वर्षीय एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को उसके माता-पिता के कब्जे से आजाद कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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हिंदू बने मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीकी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी और कहा कि कोर्ट ने उसकी पत्नी के परिवार को उसे मुक्त करने का आदेश देने से इनकार कर गलती की है. उसने कहा था कि उसकी और उसकी पत्नी की जान पर खतरा है. पत्नी को उसके माता-पिता उसकी मर्जी के विरुद्ध स्वतंत्रता से वंचित कर रहे हैं. उसे भी उसकी पत्नी के घरवाले और समाज के कुछ अन्य कट्टरपंथी तत्व धमकी दे रहे हैं.
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याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी पत्नी ने हाईकोर्ट में कहा कि वह 23 साल की है और बालिग है तथा अपनी मर्जी से उसने उससे शादी की है. इसके बाद हाईकोर्ट ने छात्रावास में उसके रहने का इंतजाम कराने का निर्देश दिया. दोनों ने 25 फरवरी, 2018 को रायपुर में एक आर्य समाज मंदिर में शादी की थी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार से जवाब मांगा था और पुलिस अधीक्षक को लडकी को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था. पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के धमतरी (जहां लड़की रहती है) के एसपी को आज कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था.
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