मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक से चार साल के आयु वर्ग के 54 प्रतिशत बच्चे एनीमिक हैं, प्रदेश में 13 प्रतिशत बच्चे मधुमेह के शिकार हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 10 प्रतिशत है. एमपी में 5 वर्ष तक की आयु के लगभग 43% बच्चे कम वजन के हैं, फिर भी राज्य सरकार ने तय किया है कि आंगनवाड़ी केंद्रों में अंडे नहीं दिये जाएंगे.मध्यप्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कुपोषण से निपटने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडे देने की प्रतिबद्धता जताई थी लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसके पक्ष में नहीं.
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एक हफ्ते पहले इमरती देवी ने घोषणा की थी कि कुपोषण को मिटाने के लिए मिड-डे मील में जो बच्चे अंडा खाते हैं उन्हें अंडा दिया जाएगा. ग्वालियर में उन्होंने दुहराया "पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान एक मंत्री के रूप में, मैंने आंगनवाड़ियों में बच्चों को अंडे परोसने की घोषणा की थी. मैं अपने फैसले पर अडिग हूं और अब मैं फिर कहती हूं कि जो लोग अंडे खाते हैं, उन्हें अंडे दिए जाएंगे और जो नहीं खाते उन्हें फल दिए जाएंगे, जैसे केला या सेब.''
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इमरती के फैसले से बीजेपी में तीखी प्रतिक्रिया हुई लेकिन मंगलवार को सभी राजनीतिक बहस को एक तरफ रखते हुए, शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार मध्याह्न भोजन के दौरान आंगनवाड़ियों में अंडे वितरित नहीं करेगी. इसके बजाय, बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में दूध दिया जाएगा.
भोपाल में बीजेपी मुख्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, सीएम ने घोषणा की कि 17 सितंबर से, अन्य पौष्टिक भोजन दूध के साथ राज्य के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर वितरित किए जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70वें जन्मदिन पर मनाए जा रहे सेवा सप्ताह के दौरान 17 सितंबर से आंगनवाड़ियों में कुपोषण से निपटने के लिए दूध दिया जाएगा."
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कांग्रेस की सरकार में बतौर मंत्री जब इमरती देवी ने अंडे देने का फैसला किया था, उस समय विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव (जो अब पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं) उन्होंने कहा था यदि बच्चों को बचपन से अंडे दिए जाते हैं, तो वे बाद के वर्षों में नरभक्षी बन सकते हैं. विपक्षी बीजेपी के कड़े विरोध के बावजूद, तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अप्रैल 2020 से इमरती देवी के प्रस्ताव को लागू करने की योजना बनाई थी, लेकिन योजना लागू होने से पहले ही सरकार गिर गई.
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