मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भोपाल की गैस पीड़ित विधवाओं के लिए बजट में खुशखबरी है. सरकार ने उनको मिलने वाली पेंशन के लिए बजट में प्रावधान कर दिया है. वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने जब मंगलवार को बजट पेश किया तो बताया कि गैस पीड़ितों को प्रतिमाह दी जाने वाली केन्द्रीय पेंशन योजना समाप्त हो जाने पर अब राज्य सरकार स्वयं के स्रोतों से पेंशन उपलब्ध कराएगी. इस हेतु बजट में आवश्यक प्रावधान रखा गया है.
इस ख़बर पर खुशी जताते हुए गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने कहा अभी अभी पता चला है कि मध्यप्रदेश सरकार ने अपने बजट में गैस पीड़ित विधवाओं के लिए 1000 रुपये /माह की पेंशन के मद को पास कर लिया है. गैस पीड़ित संगठन माननीय गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग के शुक्रगुजार हैं कि जो गैस पीड़ित विधवाओं की पेंशन दिसंबर 2019 से बंद थी वह अब बिना रुकावट के चालू हो सकेगी और 5000 से ज्य़ादा गैस पीड़ित विधवाओं को उनकी जरूरी पेंशन मिल पाएगी.
बजट में ऐलान के बाद गैस राहत और पुनर्वास मंत्री विश्वास सारंग ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा बहुत प्रसन्नता की बात है हमारी सरकार हर वायदे को पूरा कर रही है, कांग्रेस की सरकार ने वो कल्याणी बहनें जिनको 1000 पेंशन मिलती थी वो बंद किया. हमारी सरकार प्रतिबद्ध थी माननीय मुख्यमंत्री और मैंने वायदा किया था इस बजट में हमने इसका प्रावधान किया. पहली बार राज्य के बजट में इसका प्रावधान किया. सबसे महत्वपूर्ण ये है कि अभीतक केन्द्र से मिलता था अब राज्य बजट से मिलेगा माननीय मुख्यमंत्री जी की सहृदयता है 1000 रुपये पूरा राज्य बजट से देंगे उनको और जो पैसा मिलता है वो यथावत रहेगा.
दिसंबर 2019 से गैस पीड़ित विधवाओं को मिलने वाली पेंशन तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने बंद कर दी थी, अधिकारियों का कहना था कि इस मद में फिक्ज्ड डिपॉजिट के पैसे खत्म हो गये हैं और पेंशन के लिये पैसा बचा नहीं है. मार्च 2020 में सत्ता संभालने के बाद बीजेपी ने भी कई बार वायदा किया, दिसंबर में खुद मुख्यमंत्री ने कहा वो गैस त्रासदी के लिये स्मारक और गैस पीड़ित विधवा महिलाओं की पेंशन को शुरू करेंगे आखिरकार बजट में इसका प्रावधान किया गया.
भोपाल गैस त्रासदी में 5000 से अधिक महिलाएं विधवा हुईं ऐसा सरकार का मानना है. अब कई पीड़ित 75-80 साल की हो चुकी हैं. 350 विधवा महिलाओं की मौत हो चुकी है. 1000 रुपये हर महीने इन्हें पेंशन मिलती थी, 2011 से इन्हें ये पेंशन दी जा रही थी. 2008 में मध्यप्रदेश सरकार ने गैस पीड़ितों के लिये केन्द्र को एक एक्शन प्लान केन्द्र भेजा था. 272 करोड़ मांगे गए यूनाइन कार्बाइड के कचरे, गैस के जहर, पेंशन जैसे मद में. 2010 में पैसा मिला लेकिन अगले ही साल से सरकार का रोना शुरू हो गया. अभी भी उस पैसे से लगभग 147 करोड़ खर्च नहीं हुए हैं, जिसमें 40 करोड़ सामाजिक पुनर्वास और 80 करोड़ आर्थिक पुनर्वास का है.
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