मध्यप्रदेश की कमलनाथ (kamal nath) सरकार ने इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह में आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे मीसा बंदियों को आमंत्रित नहीं किया. सरकार का कहना है कि मीसा बंदियों का स्वतंत्रता संग्राम या देश की किसी भी लड़ाई से कोई लेना देना नहीं है, इस बाबत सारे कलेक्टरों को निर्देश भी दिए गए थे. इसे लेकर बीजेपी खासी नाराज़ है. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री पहली दफा स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराया. समारोह में आमंत्रित किए गए अतिथियों में 61 मीसा बंदियों को इस बार शामिल नहीं किया गया. उनकी गैरमौजूदगी बीजेपी को चुभ गई. मीसा बंदियों को पिछले साल तक तत्कालीन बीजेपी सरकार इस अवसर पर सम्मानित करती थी, लेकिन कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को लगता है कि यह जरूरी नहीं है.
कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी ने इस मामले को लेकर कहा कि 'जहां तक प्रश्न है मीसा बंदियों का, एक विचारधारा की लड़ाई लड़ी गई. मैं समझता हूं सरकार ने जो निर्णय लिया, सोच-समझकर लिया. देश के नागरिक होते हुए सम्मान है ही, पूर्ववर्ती सरकार अपनी विचारधारा के अनुरूप बात करती थी. देश सर्वोपरि है, झंडे को सलाम है.'
मध्यप्रदेश में मीसा बंदियों की पेंशन खतरे में, कांग्रेस ने कहा- फिजूलखर्जी बंद हो
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में राष्ट्रीय पर्वों पर आयोजित समारोहों में मीसा बंदियों को खास तौर पर आमंत्रित और सम्मानित किए जाने की व्यवस्था थी. मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन पर जांच के नाम पर रोक लगाने का काम कमलनाथ (kamal nath) सरकार पहले ही कर चुकी है.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'मीसाबंदी लोकतंत्र सेनानी हैं. आजादी की तीसरी लड़ाई उन्होंने लड़ी थी. ऐसे लोकतंत्र की रक्षा करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से कम नहीं हैं, इसलिए हमने सरकार में रहते फैसला किया था कि स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर उन्हें सम्मानित करेंगे. इसे कमलनाथ सरकार को जारी रखना चाहिए था.'
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पहले मीसाबंदियों की पेंशन को जांच के नाम रोका गया अब सम्मान पर रार मची है, इसलिए बीजेपी ने अलग-अलग जिलों में पार्टी के कार्यक्रमों में उन्हें सम्मानित किया.
VIDEO : मीसा बंदियों की पेंशन पर खतरा
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