एक मुहावरा आपने हमेशा सुना होगा - 'जो जीता वही सिकंदर' , लेकिन इस मुहावरे को उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय ने बदल दिया है. इस विश्वविद्यालय में कहा जाएगा- ''जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य''. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि युवाओं को प्रेरणा मिले. अब जल्दी ही विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं में पढ़ाए जाने पाठ्यक्रम में यह मुहावरा बदले हुए रूप में ही पढ़ाया जाएगा. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले युवाओं के प्रेरणा के स्रोत विक्रमादित्य होंगे.
बदले हुए मुहावरे की शुरुआत एक अध्ययनशाला से हो गई है. विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने अखिलेश कुमार पांडे ने बताया कि, ''एक प्रचलित मुहावरा है जिसमें कहा जाता है कि, 'जो जीता वही सिकंदर'. हमारे युवाओं के लिए सिकंदर आईकॉन कैसे हो सकता है? सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए आदर्श हैं. युवाओं के प्रेरणास्त्रोत है. इसलिए हम यह मुहावरा बदल रहे हैं. कोशिश कर रहे हैं कि मुहावरा 'जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य' हो.''
उज्जैन नगरी सम्राट विक्रमादित्य के नाम से जानी जाती है और इसीलिए उनके नाम से विक्रम संवत है. अब उज्जैन शहर में स्थित सम्राट विक्रमादित्य के नाम वाले विक्रम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मुहावरा बदला जा रहा है. मुहावरे में सिकंदर का स्थान सम्राट विक्रमादित्य ने ले लिया है.
कुलपति ने कहा कि, ''विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं में हिंदी भाषा के शिक्षकों को बुलाकर मुहावरे में सम्राट विक्रमादित्य का उपयोग करने के लिए कहा गया है. इसे आगे भी जारी रखकर पाठ्य पुस्तकों से सिकंदर के स्थान पर विक्रमादित्य का नाम शामिल कराया जाएगा. इसके पीछे उद्देश्य है कि हमारे विद्यार्थी व युवा यह सोचें कि हमारी विरासत किससे मिली है. हमारी विरासत में गौरवशाली सिकंदर नही है, बल्कि सम्राट विक्रमादित्य हैं. प्रयास किया जा रहा है. मुझे उम्मीद है कि हमारे विश्वविद्यालय में इसी तरह अन्य कहावतें भी बदली जा सकती हैं.''
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