मध्यप्रदेश के एक स्कूल में नीचे बैठकर अध्ययन करते हुए बच्चे.
भोपाल:
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की तस्वीरें जब एनडीटीवी इंडिया पर दिखाई गईं तो सरकार हरकत में आई, अतिथि शिक्षकों की भर्ती का सर्कुलर फौरन जारी हुआ. स्कूलों तक बिजली पहुंचाने की कोशिश भी तेज करने का वादा हुआ.
आगर-मालवा जिले के झौंटा गांव में स्कूल की बिल्डिंग पर सालों से बड़े मजे से युवराज सिंह का परिवार रहता था. एनडीटीवी पर खबर चली, प्रशासन घर पहुंचा तो सब खाली मिला. कलेक्टर ने कहा हर अतिक्रमण हटाने टास्क फोर्स बनाएंगे. आगर-मालवा के कलेक्टर अजय गुप्ता ने कहा एनडीटीवी की खबर के बाद हमने अधिकारियों के साथ बैठक की. तय हुआ कि स्कूल में अतिक्रमण हटाने टास्क फोर्स बनाएंगे जो हर 15 दिन बाद मुआयना करेगी. बिजली के लिए भी बजट का प्रावधान होगा ताकि स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर चलाए जा सकें.
मध्यप्रदेश के 1.23 लाख सरकारी स्कूलों में 50,000 से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं. 17,000 स्कूल ऐसे हैं जिनमें सिर्फ एक शिक्षक हैं. हमने तस्वीरें आगर-मालवा, शाजापुर और श्योपुर से दिखाईं, असर पूरे प्रदेश में हुआ. सरकार ने तय किया कि कम से कम अतिथि शिक्षक स्थानीय स्तर पर फौरन नियुक्त हों, बजट के दूसरे मदों से बिजली की व्यवस्था हो.
मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने कहा हमने नियमित भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन अब फैसला कर लिया है कि जब तक नियमित भर्ती पूरी नहीं होती हम अतिथि शिक्षकों को स्थानीय स्तर पर रखेंगे. स्कूलों में बिजली नहीं होने के मुद्दे पर जोशी ने माना, ''यह जो आपने बताया वो सच है, लेकिन 2018 तक कोई स्कूल बिजली से वंचित नहीं रहेगा.''
वीडियो- स्कूल कब्जे से मुक्त हुई
हालांकि विपक्ष का अब भी मानना है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता नहीं है. ऐसे में उन्हें शक है कि सरकार अपना वायदा पूरा करेगी. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि मेरे खयाल से खबर न दिखाई होती तो अक्टूबर तक भी यह न होता. इनकी इच्छा शक्ति नहीं है इसलिए तो व्यापम होता है.
शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षक बच्चों का अनुपात 35.1 होना चाहिए लेकिन मध्यप्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में हालात बदतर हैं. सरकार अतिथि शिक्षकों से काम चला रही है, लेकिन इस बार उनकी नियुक्ति भी मीडिया में खबर आने के बाद होने जा रही है, यानी शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 3-4 महीने बाद.
आगर-मालवा जिले के झौंटा गांव में स्कूल की बिल्डिंग पर सालों से बड़े मजे से युवराज सिंह का परिवार रहता था. एनडीटीवी पर खबर चली, प्रशासन घर पहुंचा तो सब खाली मिला. कलेक्टर ने कहा हर अतिक्रमण हटाने टास्क फोर्स बनाएंगे. आगर-मालवा के कलेक्टर अजय गुप्ता ने कहा एनडीटीवी की खबर के बाद हमने अधिकारियों के साथ बैठक की. तय हुआ कि स्कूल में अतिक्रमण हटाने टास्क फोर्स बनाएंगे जो हर 15 दिन बाद मुआयना करेगी. बिजली के लिए भी बजट का प्रावधान होगा ताकि स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर चलाए जा सकें.
मध्यप्रदेश के 1.23 लाख सरकारी स्कूलों में 50,000 से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं. 17,000 स्कूल ऐसे हैं जिनमें सिर्फ एक शिक्षक हैं. हमने तस्वीरें आगर-मालवा, शाजापुर और श्योपुर से दिखाईं, असर पूरे प्रदेश में हुआ. सरकार ने तय किया कि कम से कम अतिथि शिक्षक स्थानीय स्तर पर फौरन नियुक्त हों, बजट के दूसरे मदों से बिजली की व्यवस्था हो.
मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने कहा हमने नियमित भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन अब फैसला कर लिया है कि जब तक नियमित भर्ती पूरी नहीं होती हम अतिथि शिक्षकों को स्थानीय स्तर पर रखेंगे. स्कूलों में बिजली नहीं होने के मुद्दे पर जोशी ने माना, ''यह जो आपने बताया वो सच है, लेकिन 2018 तक कोई स्कूल बिजली से वंचित नहीं रहेगा.''
वीडियो- स्कूल कब्जे से मुक्त हुई
हालांकि विपक्ष का अब भी मानना है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता नहीं है. ऐसे में उन्हें शक है कि सरकार अपना वायदा पूरा करेगी. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि मेरे खयाल से खबर न दिखाई होती तो अक्टूबर तक भी यह न होता. इनकी इच्छा शक्ति नहीं है इसलिए तो व्यापम होता है.
शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षक बच्चों का अनुपात 35.1 होना चाहिए लेकिन मध्यप्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में हालात बदतर हैं. सरकार अतिथि शिक्षकों से काम चला रही है, लेकिन इस बार उनकी नियुक्ति भी मीडिया में खबर आने के बाद होने जा रही है, यानी शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 3-4 महीने बाद.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं