
- डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की अलास्का में हुई बैठक ढाई घंटे से अधिक समय तक चली.
- पुतिन ने मॉस्को में आगे की बातचीत का प्रस्ताव रखा और संघर्ष के मूल कारणों को खत्म करने पर जोर दिया.
- ट्रंप ने बैठक को उपयोगी बताया और कहा कि कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी, लेकिन अंतिम समझौता अभी बाकी है.
डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बहुप्रतीक्षित बैठक समाप्त हो चुकी है. ढाई घंटे से ज़्यादा चली इस मुलाकात में ट्रंप वॉशिंगटन से और पुतिन मॉस्को से पहुंचे थे. पूरी दुनिया की नज़र इस बैठक पर थी, खासकर यूक्रेन की, जो शांति की उम्मीद लगाए बैठा था.
Trump-Putin Alaska Summit : यूक्रेन की उम्मीदों को लगा झटका
बंद कमरे में हुई इस लंबी बातचीत के बाद भी यूक्रेन में युद्धविराम को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका है. दोनों नेताओं ने शांति स्थापित करने के लिए कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिखाया.

हालांकि, पुतिन ने आगे की बातचीत के लिए मॉस्को में मिलने का प्रस्ताव रखा है. अब देखना यह है कि यह प्रस्ताव यूक्रेन में शांति लाने की दिशा में क्या भूमिका निभाता है.

पुतिन ने कहा कि रूस इस संघर्ष को समाप्त करने में सच्ची दिलचस्पी रखता है. लेकिन इसे स्थायी बनाने के लिए, उन्हें "संघर्ष के मूल कारणों" को समाप्त करना होगा और रूस के "वैध संघर्ष" का समाधान करना होगा. मैं राष्ट्रपति ट्रम्प से सहमत हूं, जैसा कि उन्होंने आज कहा है, कि स्वाभाविक रूप से, यूक्रेन की सुरक्षा भी सुनिश्चित होनी चाहिए. स्वाभाविक रूप से, हम इस पर काम करने के लिए तैयार हैं. मुझे उम्मीद है कि हम जिस समझौते पर पहुंचे हैं, वह हमें उस लक्ष्य के करीब पहुंचने में मदद करेगा और यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा.

डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और बैठक को "बेहद उपयोगी" बताया. उन्होंने कहा कि हम कई बिंदुओं पर सहमत हुए. मैं कहूंगा कि कुछ बड़े बिंदु जरूर थे. लेकिन अभी हम उस मुकाम तक नहीं पहुंचे हैं. हमने कुछ प्रगति की है. जब तक कोई समझौता नहीं होता, तब तक कोई समझौता नहीं होता. ट्रंप ने कहा कि वह नाटो और वोलोदिमीर जेलेंस्की को आज की बैठक के बारे में बताने के लिए फोन करेंगे.

रूसी राष्ट्रपति अमेरिकी राष्ट्रपति की 'द बीस्ट' नामक लिमोज़ीन में सवार हुए और ट्रंप के साथ बैठक स्थल की ओर रवाना हुए.
पुतिन के चेहरे पर गहरी मुस्कान थी, जबकि ट्रंप भीड़ की ओर हाथ हिलाते हुए आत्मविश्वास से भरे नजर आए. दोनों नेताओं की बॉडी लैंग्वेज सहज और सकारात्मक दिखी. रेड कार्पेट पर चलते हुए दोनों आपस में बातचीत करते रहे और उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान बनी रही.

इस मुलाकात के दौरान एक सैन्य प्रदर्शन भी हुआ—बी-2 बमवर्षक और एफ-22 लड़ाकू विमान दोनों नेताओं के ऊपर से गुजरे. यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि बॉडी लैंग्वेज और प्रतीकों के ज़रिए कई संदेश छोड़ गई. क्या यह नई रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत है या सिर्फ एक कूटनीतिक शो? ये तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा.
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