
अंगूठे का निशान मैच न करने के कारण बुजुर्ग महिला को नहीं दिया राशन
भोपाल:
देश में आधार कई ग्राहकों को अधर में लटका रहा है. मध्य प्रदेश के गुना जिले में सरकारी कंट्रोल की दुकान से राशन नहीं मिलने की वजह से 78 साल की एक महिला को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. झारखंड में एक बच्ची की भूख से मौत के बाद भी आधार से जुड़ी दिक्कतें थमने का नाम नहीं ले रहीं. गुना में केसरबाई ठेले में बैठकर छाबड़ा मोहल्ले से कलेक्टर दफ्तर पहुंची. बेटा राधेश्याम उन्हें 5 किलोमीटर दूर ऐसे ही लेकर आए, क्योंकि घर के लिए राशन जुटाना था. राधेश्याम ने कहा कि गेहूं नहीं मिल रहा, राशन वाले ने मना कर दिया, क्योंकि अंगूठे का निशान नहीं मिल रहा था. केसरबाई के 3 बेटे हैं, दो अलग रहते हैं. उन्हें देखने, चलने, सुनने में दिक्कत आती है. अंगूठे के निशान नहीं मिले तो सरकारी कंट्रोल वाले ने राशन देने से मना कर दिया. बहू शशी साहू की शिकायत है कि हर दफे अंगूठा लगाने बोलते हैं, नहीं मिला तो राशन नहीं देते.
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केसरबाई की पड़ोसी रमादेवी झा के दो बेटे हैं. कोई साथ नहीं रखता. बुढा़पे में अकेली हैं. राशन कार्ड से गेंहू, चावल, नमक मिलता था. पेंशन और सरकारी राशन से ज़िंदगी कट रही है, लेकिन आरोप है कि अब आधार ने अधर में छोड़ दिया है. रमादेवी ने बताया कि उंगली के निशान नहीं मिलते, फिर राशन कार्ड की फोटोकॉपी मांगते हैं, हर महीने कहां तक देंगे. हम ठहरे गरीब आदमी, बच्चे हमें खाने को नहीं देते.
यह भी पढ़ें : अब महाराष्ट्र में उर्वरक पर सब्सिडी लेने के लिए भी आधार कार्ड जरूरी
दुकानदार कहते हैं कि वे सिर्फ सरकारी फरमान को मान रहे हैं. कंट्रोल के मालिक रशीद खान ने कहा, हमें शासन के निर्देश का पालन करना पड़ता है, ऊपर से निर्देश मिले जबतक अंगूठा नहीं मिले खाद्यान्न नहीं देना है. मध्य प्रदेश में सरकार ने फरमान दिया था कि 31 मई तक जो राशन कार्ड जमा नहीं कराएगा, उसे जुलाई से राशन नहीं मिलेगा. कई बुजुर्गों का कहना है कि वे सब जमा कर चुके हैं, लेकिन अंगूठा धोखा देने लगा है. प्रशासन कह रहा है, घर-घर जाकर लोगों की मदद की जाएगी. एडीएम नियाज खान ने कहा, हम लोग पूरे जिले में पता कर रहे हैं, ऐसी कोई स्थिति पैदा ना हो. जहां वृद्ध हैं, विकलांग हैं अगर हमें उनके घर भी जाना पड़े तो मशीन लेकर जाएंगे.
VIDEO : बिना आधार बुजुर्गों को राशन मिलने में हो रही दिक्कत
प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की 22,396 दुकानें हैं, जिनमें से 4300 शहरी जबकि 18096 ग्रामीण इलाके में हैं. फिलहाल 1.15 करोड़ ग्राहक यहां से राशन लेते हैं. लेकिन ये हकीकत है कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के जरिये चलने वाली इन दुकानों से राशन लेने में केसरबाई और रमादेवी जैसे ग्राहकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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केसरबाई की पड़ोसी रमादेवी झा के दो बेटे हैं. कोई साथ नहीं रखता. बुढा़पे में अकेली हैं. राशन कार्ड से गेंहू, चावल, नमक मिलता था. पेंशन और सरकारी राशन से ज़िंदगी कट रही है, लेकिन आरोप है कि अब आधार ने अधर में छोड़ दिया है. रमादेवी ने बताया कि उंगली के निशान नहीं मिलते, फिर राशन कार्ड की फोटोकॉपी मांगते हैं, हर महीने कहां तक देंगे. हम ठहरे गरीब आदमी, बच्चे हमें खाने को नहीं देते.
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दुकानदार कहते हैं कि वे सिर्फ सरकारी फरमान को मान रहे हैं. कंट्रोल के मालिक रशीद खान ने कहा, हमें शासन के निर्देश का पालन करना पड़ता है, ऊपर से निर्देश मिले जबतक अंगूठा नहीं मिले खाद्यान्न नहीं देना है. मध्य प्रदेश में सरकार ने फरमान दिया था कि 31 मई तक जो राशन कार्ड जमा नहीं कराएगा, उसे जुलाई से राशन नहीं मिलेगा. कई बुजुर्गों का कहना है कि वे सब जमा कर चुके हैं, लेकिन अंगूठा धोखा देने लगा है. प्रशासन कह रहा है, घर-घर जाकर लोगों की मदद की जाएगी. एडीएम नियाज खान ने कहा, हम लोग पूरे जिले में पता कर रहे हैं, ऐसी कोई स्थिति पैदा ना हो. जहां वृद्ध हैं, विकलांग हैं अगर हमें उनके घर भी जाना पड़े तो मशीन लेकर जाएंगे.
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प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की 22,396 दुकानें हैं, जिनमें से 4300 शहरी जबकि 18096 ग्रामीण इलाके में हैं. फिलहाल 1.15 करोड़ ग्राहक यहां से राशन लेते हैं. लेकिन ये हकीकत है कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के जरिये चलने वाली इन दुकानों से राशन लेने में केसरबाई और रमादेवी जैसे ग्राहकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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