प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ऐलान किया कि आने वाले एक हजार दिनों में देश के हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा. मध्यप्रदेश में तो 2016 में सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ने के लिए सरकार ने तमाम पंचायतों को ई-पंचायत (E-Panchayat) बनाने का फैसला किया था. लेकिन हकीकत में क्या हुआ? आगर-मालवा ज़िले के पालखेड़ी का ई पंचायत भवन जिसमें कंप्यूटर, प्रिंटर सब 4 साल पहले पहुंच गए, दो साल पहले गांव में ऑप्टिकल फाइबर भी आ गया. बस सरकार इंटरनेट देना भूल गई. पालखेड़ी के प्रभारी सचिव ने बताया गांव में केबल भी डली थी वो भी पूरी नहीं डल पाई है. वहीं सरपंच प्रतिनिधि कमल पालीवाल ने कहा कि हमने अर्जी दी है लेकिन नेट नहीं चल रहा है.
@narendramodi ने ऐलान किया कि देश के हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा, मप्र में 2016 में तमाम पंचायतों को ई पंचायत बनाने का फैसला किया था, लेकिन हकीकत में पालखेड़ी का ई पंचायत भवन जिसमें कंप्यूटर, प्रिंटर सब 4 साल पहले पहुंच गया बस सरकार इंटरनेट देना भूल गई @ndtvindia pic.twitter.com/pv4fOs4rUD
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) September 7, 2020
हमने सोचा इलाके की दूसरी पंचायतों को भी देख लें. कुलमडी में ये पंचायत भवन खूबसूरत लगा... अंदर पहुंचे पता लगा स्कैनर, टीवी, प्रिंटर सब आया था, गया कहां? वहां के सरपंच गोकुल सिंह ने बताया वो सब आगर में हैं, यहां नेट नहीं मिलता है. यहां सुविधा ही नहीं है तो क्या करेंगे. सहायक सचिव ईश्वर सिंह तंवर ने कहा प्रिंटर खराब हो गया, सिस्टम आगर में है क्योंकि यहां नेट नहीं मिलता. ये ब्रॉडबैंड चल जाए तो अच्छा है.
कुलमडी में ये पंचायत भवन खूबसूरत लगा अंदर पहुंचे पता लगा स्कैनर, टीवी, प्रिंटर सब आया था, लेकिन सब कहीं और चला गया क्योंकि इंटरनेट तो आया नहीं बस डिब्बा लग गया @ndtvindia pic.twitter.com/UP2B3b5rhU
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झौंटा गांव में भी पंचायत भवन के अंदर मिला कुछ नहीं ब्रॉडबैंड का डिब्बा लग गया, इंटरनेट नहीं आया. सरपंच प्रतिनिधि दशरथ सिंह कहते हैं कि एक साल पहले केबल डली है, इंटरनेट है नहीं, आम लोगों को परेशानी होती है, आगर जाते हैं. सिस्टम अगर यहीं रहे... सरकार वायदा तो कर लेती है लेकिन होता नहीं है.
झौंटा गांव में भी पंचायत भवन के अंदर मिला कुछ नहीं ब्रॉडबैंड का डिब्बा लग गया इंटरनेट नहीं आया. सरपंच प्रतिनिधि दशरथ सिंह कहते हैं 1 साल पहले केबल डली है, इंटरनेट है नहीं आम लोगों को परेशानी होती है आगर जाते हैं, सिस्टम अगर यहीं रहे सरकार वायदा तो कर लेती है लेकिन होता नहीं है. pic.twitter.com/GhE3wPpj9D
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देशभर की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘भारत-नेट प्रोजेक्ट' की शुरुआत की गई थी. मध्य प्रदेश में 23922 ग्राम पंचायतें हैं. इन्हें ई पंचायत में तब्दील करने लगभग 220 करोड़ का सामान खरीदा गया जो अब कबाड़ है. इसे लेकर सरकार की अपनी दलील है तो वहीं डेढ़ साल सत्ता में रही कांग्रेस के आरोप.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा कहते हैं, काफी हद तक मैं ये. जानता हूं कुछ सचिव प्रशिक्षित नहीं थे. शायद इस वजह से उन्होंने नहीं किया. 23000 पंचायत हैं ... अब हम 20000 की सुविधा देखें या 3000 जो रह गए, उसके लेकर रोएं. कुछ नहीं हुए होंगे इसके कारण समझने होंगे. अगले 6 महीने में सब हो जाएगा, हम ये सुनिश्चित करेंगे.
वहीं कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह कहते हैं कि ई पंचायत के बारे में ये बात करते थे लेकिन जो व्यवस्थित काम होना था वो नहीं हुआ. ये सिर्फ जुमले हैं.
मध्यप्रदेश में 53738 गांव हैं. लोकसभा में पेश रिपोर्ट में माना गया था कि राज्य में 5988 गांवों में अभी भी इंटरनेट नहीं पहुंचा है. दूसरी समस्या बिजली की है. 2017-18 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मिशन अंत्योदय सर्वे करवाया था जिसमें पता लगा था कि देश में 16% घरों में 1-8 घंटे बिजली रहती है, 33% में 9-12 घंटे. सिर्फ 47% घरों में 12 घंटे से ज्यादा बिजली रहती है. 2017-18 नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक 24% देशवासियों के पास इंटरनेट है. देश की 66% जनसंख्या गांवों में रहती है, जहां 15% घरों में इंटरनेट है. केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने ई-पंचायत पुरस्कार श्रेणी में देश में पहला पुरस्कार मध्यप्रदेश को दिया था लेकिन आंकड़े बताते हैं कि मंज़िल अभी दूर है.
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