
- मालेगांव बम विस्फोट मामले में 17 साल बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत आज अपना फैसला सुनाएगी.
- अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की अंतिम दलीलें पूरी कर 19 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था.
- 2008 के विस्फोट में छह लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए थे, जांच में 323 गवाहों से पूछताछ हुई थी.
Malegaon Bomb Blast Case: मालेगांव बम विस्फोट मामले में 17 साल के लंबे इंतजार के बाद फैसला (Malegaon Blast Case) आने को है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत गुरुवार को 2008 मामले में अपना फैसला सुनाएगी. अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपी अदालत पहुंच गए हैं. वर्ष 2008 में हुए इस बम धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी. अदालत के फैसले को लेकर वहां भारी सुरक्षा की गई है.
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मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला आज
कोर्ट ने कहा कि अप्रैल में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज होने की वजह से फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए. सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया गया है. यह भी चेतावनी दी गई है कि जो आरोपी उस दिन अनुपस्थित रहेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
इस मामले में सात लोग, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं, जिन पर मुकदमा चल रहा है. इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. सभी आरोपी वर्तमान में जमानत पर रिहा हैं.
किस पर क्या आरोप?
आरोपी 1.— साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर
साजिश में सक्रिय भागीदारी के साथ ही हथियार और वाहन उपलब्ध कराने का आरोप लगा.
जिस मोटरसाइकिल LML फ्रीडम पर बम लगाए गए वो साध्वी प्रज्ञा की ही बतायी गई
आरोपी नम्बर 2—लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को बम धमाके का “मास्टरमाइंड ” बताया गया. अभिनव भारत संगठन के गठन से लेकर धमाके के लिए विस्फोटक और हथियारों की व्यवस्था कराने के आरोप लगे.
आरोपी नम्बर 3 —- रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय
संगठन अभिनव भारत से जुड़े होने, साजिश में सक्रिय भागीदारी और बैठकें आयोजित करने के आरोप लगे.
आरोपी नम्बर 4—अजय राहिरकर
धमाके के लिए धन इकट्ठा करने, वित्तीय सहायता प्रदान करने और उसके वितरण के आरोप लगे
आरोपी नम्बर 5—-सुधाकर द्विवेदी
आरोप है की द्विवेदी ने साजिश की बैठकों में शामिल होने के साथ ही, धमाके को अंजाम देने वालों को धार्मिक नैरेटिव के माध्यम से मानसिक तौर पर प्रेरित करने का काम किया.
आरोपी नम्बर 6—-सुधाकर चतुर्वेदी
साजिश की बैठकों में शामिल होने और योजना में भागीदारी का आरोप है.
आरोपी नम्बर 7—-समीर कुलकर्णी
कुलकर्णी पर भी बैठकों का हिस्सा बनने और साज़िश में शामिल होने के आरोप लगे
मालेगांव में 2008 में हुआ क्या था?
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ था. इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए.
शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी. हालांकि, 2011 में जांच एनआईए को जांच सौंप दी गई. 2016 में एनआईए ने अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों को बरी करते हुए एक आरोप पत्र दाखिल किया. घटना के लगभग 17 साल बाद आए इस फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और इसके महत्वपूर्ण कानूनी और राजनीतिक परिणाम होने की संभावना है.
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