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This Article is From Dec 24, 2021

रोड एक्‍सीडेंट में कुत्‍ते की मौत पर मालिक को मिला लाखों का मुआवजा, देश में ऐसा पहला केस

पीड़ित के वकील जयप्रकाश पांडे ने कहा, 'कोर्ट में जाने का मकसद पैसा नही था बल्कि एक सीख देनी थी कि सड़क पर जो भी चल रहा है चाहे यह इंसान हो या जानवर, उसकी सुरक्षा का ख्याल रखना गाड़ी चलाने वाले का काम है. .'

रोड एक्‍सीडेंट में कुत्‍ते की मौत पर मालिक को मिला लाखों का मुआवजा, देश में ऐसा पहला केस
सड़क दुर्घटना में कुत्ते की मौत पर मालिक को मिला मुआवजा प्रतीकात्‍मक फोटो
मुंबई:

Maharashtra: महाराष्‍ट्र में सालों की कानूनी लड़ाई के बाद कुत्ते की मौत (Dog's death in road accident) का मुआवजा मिला है.चंद्रपुर मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि वह  कुत्ते के मालिक को एक लाख 62 हजार रुपये और ब्‍याज की राशि अदा करे.देश में रोड एक्सीडेंट में  किसी कुत्ते की मौत पर मुआवजे का यह पहला मामला बताया जा रहा है.चंद्रपुर में साल 2013 में इस कुत्ते की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, इसके 8 साल बाद अब इस कुत्‍ते की मौत पर बीमा कंपनी को ब्‍याज सहित करीब 3 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश जारी हुआ है.

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पीड़ित के वकील जयप्रकाश पांडे ने कहा, 'मामले को लेकर कोर्ट में जाने का मकसद पैसा नही था बल्कि एक सीख देनी थी कि सड़क पर जो भी चल रहा है चाहे यह इंसान हो या जानवर, उसकी सुरक्षा का ख्याल रखना गाड़ी चलाने वाले का काम है. कोर्ट ने भी हमारी बात को तवज्जो देते हूए फैसला सुनाया है.' यह यह कानूनी  लड़ाई' इतनी आसान नहीं रही. 11 माह के जॉन (डॉगी का नाम) की मौत के बाद इसके मालिक उमेश भटकर ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर 5 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी.

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कुत्‍ता मालिक उमेश ने बताया, ' यह घटना 10 जनवरी 2016 में हुई थी जब मैं सुबह 6 बजे के करीब डॉग को घुमा रहा था तो एक स्कूल बस, जो रहीम ट्रेवल्स कंपनी चला रही थी, उसे उसे चोट लगी थी. इसके बाद मैंने दुर्गापुर पुलिस थाने में FIR करवाई, पंचनामा और पोस्टमॉर्टम भी करवाया था.'

उमेश ने मामले में बस मालिक, चालक और बीमा कम्पनी को पार्टी बनाया और दावा किया कि कुत्ता एक कंपनी में सुरक्षा में मदद करता था और बदले में उसे 8 हजार रुपये प्रति महीने आमदनी थी.पीड़ित के वकील जयप्रकाश पांडे ने बताया, 'इसमें एक टेक्निकल प्रॉब्लम आई थी कोर्ट के और हमारे सामने भी कि उस डॉग की उम्र कितनी होती है. सामान्य तौर पर  15 से 20 साल की उम्र होती है और इसमें से कितने साल तक यह इनकम का जरिया बन सकता है.हमने बाकायदा प्रूफ किया कि उसकी इनकम कितनी थी, बर्थ डेट क्या थी सब सबूत देने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया.इस फैसले में साल 2010 में  केरल हाईकोर्ट का हाथी की मौत पर मुआवजे का फ़ैसला सहायक बना, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था.इस फैसले से यह बात साफ हुई थी कि अगर कोई प्राणी उसके मलिक की आमदनी का जरिया है तो  रोड एक्सीडेंट में उसकी मौत पर मोटर व्हीकल एक्ट 166 के तहत मुआवजे का अधिकार बनता है. 


 

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