Osama Bin Laden Operation Dog Stroy: दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मार गिराने वाला ऑपरेशन सिर्फ यूएस नेवी की सील्स टीम की बहादुरी की कहानी नहीं था. इसमें एक ऐसा खामोश योद्धा भी शामिल था, जिसने मिशन की सफलता में अहम रोल निभाया. एक स्पेशल ट्रेनिंग वाला मिलिट्री डॉग. जब 2 मई, 2011 में अमेरिका के दो हेलिकॉप्टर 79 कमांडो और एक कुत्ते को लेकर पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा के ठिकाने पर उतरे, तब पूरी दुनिया के मन में एक सवाल उठा, आखिर इस बेहद सीक्रेट ऑपरेशन में कुत्ते को क्यों शामिल किया गया. इस सवाल का जवाब बेहद दिलचस्प और चौंकाने वाला है.
ओसामा मिशन में कुत्ते की एंट्री क्यों जरूरी थी
पेंटागन और यूएस आर्मी के अधिकारियों के मुताबिक, यह कुत्ता कोई सामान्य डॉग नहीं था, बल्कि मिलिस्ट्री वर्किंग डॉग (MWD) था, जिसे खासतौर पर स्पेशल ऑपरेशंस के लिए ट्रेन किया गया था. इस ऑपरेशन में कुत्ते की मौजूदगी कई वजहों से बेहद जरूरी मानी गई.
कमांडो टीम साथ कुत्ता भेजने की वजह
1. बम और बारूदी सुरंग पहचानने में इंसान से तेज
आधुनिक वॉर में IEDs सबसे बड़ा खतरा होते हैं. सैन्य आंकड़ों के अनुसार, जंग में होने वाली दो-तिहाई मौतें IEDs की वजह से होती हैं. कुत्ते इंसान या मशीन से कहीं ज्यादा तेजी और सटीकता से बम, विस्फोटक और ट्रैप पहचान लेते हैं. ओसामा के कंपाउंड में घुसने से पहले कुत्ता यह सुनिश्चित कर रहा था कि कहीं दरवाजे हैंडल में बम न लगा हो, फर्श या सीढ़ियों में विस्फोटक न छिपा हो.
2. छिपे हुए कमरे और सुरंगों की तलाश
अमेरिका को यह डर था कि ओसामा ने कहीं सीक्रेट रूम, सुरंग या अंडरग्राउंड छिपने की जगह न बना रखी हो. पहले भी ऐसा हो चुका था, जब सद्दाम हुसैन एक बेहद संकरी और अंधेरी जगह में छिपा मिला था. कुत्ते की सूंघने की क्षमता इतनी तेज होती है कि वह दीवारों के पीछे, फर्श के नीचे, बंद कमरों में छिपे इंसानों को भी पहचान सकता है.
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3. भागने की कोशिश करने वालों को पकड़ने में माहिर
अगर ऑपरेशन के शुरुआती सेकंड्स में कोई व्यक्ति भागने की कोशिश करता, तो जर्मन शेफर्ड या बेल्जियन मैलिनॉइस जैसे कुत्ते इंसान से दोगुनी रफ्तार से दौड़ सकते हैं. ये कुत्ते भागते संदिग्ध को दबोच लेते हैं, बिना गोली चलाए उसे काबू में कर लेते हैं, इससे बेवजह फायरिंग और जान-माल का नुकसान रोका जा सकता है.
4. नाइट विजन कैमरा और लाइव फीड
इस मिशन में शामिल कुत्ता बुलेटप्रूफ बॉडी आर्मर, इन्फ्रारेड और नाइट-विजन कैमरा से लैस था. कुत्ते के सिर पर लगे कैमरे से कमांडो को अंदर की लाइव वीडियो फीड मिल रही थी. संभावित घात की पहले से चेतावनी मिल जाती थी, यानी कुत्ता पहले अंदर जाता और फिर कमांडो.
5. मनोवैज्ञानिक डर पैदा करने का हथियार
मिडिल ईस्ट के कई इलाकों में कुत्तों को लेकर सांस्कृतिक डर और परहेज पाया जाता है. यूएस आर्मी के अधिकारियों के मुताबिक, कुत्ता कई बार हथियार से ज्यादा मनोवैज्ञानिक दबाव बना देता है. भीड़ या संदिग्ध लोग कुत्ते को देखकर तुरंत पीछे हट जाते हैं.
कौन सी नस्ल का था यह कुत्ता
हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन सैन्य सूत्रों के अनुसार यह कुत्ता संभवत जर्मन शेफर्ड या बेल्जियन मैलिनॉइस का था. क्योंकि इन दोनों नस्लों को तेज सूंघने की क्षमता, ताकत, फुर्ती, बुद्धिमत्ता और साहस के लिए जाना जाता है. आज भी यही नस्लें अफगानिस्तान, इराक, स्पेशल फोर्स ऑपरेशंस में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती हैं.
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