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स्वाभिमान के साथ विश्वासघात, चुनाव सेट था, महाराष्ट्र निकाय रिजल्ट पर 'सामना' में महायुति पर वार

'सामना' के संपादकीय में पूछा गया कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में कौन-सा बड़ा तीर मारा है, जो महाराष्ट्र की जनता भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार को भारी बहुमत से वोट दे रही है?

स्वाभिमान के साथ विश्वासघात, चुनाव सेट था, महाराष्ट्र निकाय रिजल्ट पर 'सामना' में महायुति पर वार

Maharashtra election result: महाराष्ट्र निकाय चुनाव में महायुति को मिली भारी जीत पर शिवसेना (UBT) ने सवाल खड़े किए हैं. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में सीधे तौर पर सवाल पूछा कि बीजेपी ने जीत कैसे हासिल की? चुनाव परिणामों का पैटर्न पहले से ही ‘सेट' बताते हुए कहा कि सेटिंग के अनुरूप नगरपालिका और नगराध्यक्ष पद के चुनाव के नतीजे सामने आए हैं. भाजपा ने महाराष्ट्र में कौन-सा बड़ा तीर मारा है या किस तरह का विकास किया कि महाराष्ट्र की जनता भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार को भारी बहुमत से वोट दे रही है? अगर मतदाता भ्रष्टाचार, बेईमानी और धोखाधड़ी को उनकी उपलब्धियां मानकर उनके पीछे मजबूती से खड़े रहेंगे तो यह महाराष्ट्र के स्वाभिमान के साथ विश्वासघात है.

"अगर यह जीत पैसों से खरीदी गई है तो..."

संपादकीय में चुनाव नतीजों पर सवाल उठाते हुए कहा गया, "बेशक, यही जनता नतीजों के बाद खुलेआम कहती है कि हम उनके प्रशासन और भ्रष्टाचार से परेशान हैं. हमने उन्हें वोट नहीं दिया था. अगर यह जीत पैसों से खरीदी गई है तो इस महाराष्ट्र की आन, बान और शान धूल में मिल गई है. शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र शाह के पैसों पर बेबस होकर रेंगता नजर आ रहा है. यह तस्वीर देश के लिए खतरनाक है!" आगे कहा गया कि विधानसभा चुनावों में भी लोगों ने यही सवाल पूछा था और अब नगरपालिका चुनावों में भी लोग इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ रहे हैं. आखिर उन्हें वोट दिया किसने? किसने उन्हें जिताया?

मुकाबला सत्ता और विपक्ष के बीच नहीं था- शिवसेना यूबीटी

शिवसेना यूबीटी की ओर से दावा किया गया कि इन चुनावों में असली मुकाबला सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच था ही नहीं. तीनों सत्ताधारी दलों के भीतर प्रतिस्पर्धा और संघर्ष तेज हो गया था. यह लड़ाई शिंदे सेना और अजीत पवार बनाम भाजपा के बीच थी. कई नगरपालिका क्षेत्रों में प्रति वोट का भाव 4 हजार से 10 हजार रुपए था. यह भाव शिंदे सेना और अजीत पवार ने तय किया था, लेकिन जब भाजपा ने वोट का भाव बढ़ाकर 20 हजार से 24 हजार रुपए कर दिया तो उनके बीच आपस में विवाद शुरू हो गया.

निलेश राणे और बीजेपी अध्यक्ष के विवाद का भी जिक्र

मुखपत्र में सिंधुदुर्ग में शिंदे सेना विधायक निलेश राणे और भाजपा अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण के बीच विवाद का भी जिक्र है. इसके मुताबिक, "घरों में पैसों के पैकेट बांटे गए और उसी के अनुसार मतदान कराया गया. नांदेड़ जिले के धर्माबाद का उदाहरण देखिए. धर्माबाद में 20 दिसंबर को मतदान हुआ. भाजपा पदाधिकारियों ने महिलाओं समेत करीब 1500 मतदाताओं को बंधक बना लिया."

तेलंगाना में बैलेट पेपर से चुनाव, बीजेपी की हार

इस लेख में तेलंगाना के स्थानीय निकाय चुनाव पर बात करते हुए कहा गया वहां चुनाव ‘बैलेट पेपर' पर हुए और बीजेपी की करारी हार हुई. तेलंगाना में कांग्रेस ने भारी बहुमत से स्थानीय निकाय चुनाव जीते. पंजाब में स्थानीय निकाय चुनावों में ‘आप' ने बीजेपी और कांग्रेस को पछाड़ते हुए भारी बहुमत से जीत हासिल की. भाजपा के ​​इन दोनों राज्यों में पैसों का बड़ा खेल खेलने के बावजूद वहां मतदाता बिके नहीं, लेकिन पिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र में हालात अलग हैं.

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