- महायुति के घटक रामदास आठवले ने बीएमसी चुनाव में सीट बंटवारे और समन्वय की कमी पर गहरा असंतोष जताया है
- भाजपा और शिवसेना के बीच सहमति के बाद भी आठवले को महायुति की अहम बैठकों में शामिल नहीं किया गया है
- आठवले ने बीएमसी उपमहापौर पद की मांग की है और गठबंधन से सम्मानजनक हिस्सेदारी की अपेक्षा जताई है
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख नजदीक आते ही महायुति (बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन) के भीतर असंतोष के सुर तेज होने लगे हैं. महायुति के अहम घटक और केंद्र सरकार में मंत्री रामदास आठवले ने सीट बंटवारे और समन्वय की कमी को लेकर खुलकर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि नामांकन दाखिल करने में अब सिर्फ़ दो दिन बचे हैं, लेकिन अब तक उन्हें किसी भी अहम बैठक के लिए नहीं बुलाया गया है.
“हम महायुति के अहम भागीदार हैं, फिर भी अनदेखी”
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास आठवले ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी मुंबई में महायुति की एक महत्वपूर्ण सहयोगी है और राष्ट्रीय स्तर पर भी एनडीए का हिस्सा है. इसके बावजूद उन्हें चर्चा से दूर रखा जा रहा है, जो सम्मानजनक नहीं है. आठवले ने बताया कि उन्होंने मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित साटम (जैसा प्रस्ताव दिया गया) को पहले ही लगभग 26 सीटों का प्रस्ताव सौंप दिया था, लेकिन अब तक उस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला है.

रामदास आठवले ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी बीएमसी चुनाव में कम से कम 15–16 सीटों की अपेक्षा कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि महायुति उन्हें ये सीटें देती है, तो वे बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं, बशर्ते सीटें आरपीआई (ए) के लिए सुनिश्चित हों.

मारा अपमान करना सही नहीं होगा- बीजेपी को आठवले का संदेश
आठवले ने बताया कि वे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से सोमवार को मुलाकात करने वाले हैं. इसके अलावा उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं रविंद्र चव्हाण और चंद्रशेखर बावनकुले से भी मिलने के लिए समय मांगा है. रामदास आठवले ने महायुति को आगाह करते हुए कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं. उन्होंने कहा, "एक तरफ कांग्रेस और प्रकाश आंबेडकर साथ आ रहे हैं, दूसरी तरफ ठाकरे बंधु एक मंच पर हैं. ऐसे माहौल में महायुति हमें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती. हमारा अपमान करना सही नहीं होगा.”
हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे अब भी सकारात्मक हैं और उम्मीद करते हैं कि महायुति उन्हें सम्मानजनक हिस्सेदारी देगी. सीटों के साथ-साथ आठवले ने महायुति सरकार से बीएमसी में उपमहापौर पद की भी मांग की है. उनका कहना है कि गठबंधन में उनकी पार्टी की भूमिका को देखते हुए यह मांग जायज़ है.
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बीएमसी चुनाव से ठीक पहले महायुति के भीतर यह असंतोष विपक्ष के लिए मौका बन सकता है. ऐसे समय में जब विपक्षी खेमे में नए समीकरण बन रहे हैं, महायुति के लिए अपने सभी सहयोगियों को साथ रखना रणनीतिक रूप से बेहद ज़रूरी माना जा रहा है. अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री फडणवीस और महायुति नेतृत्व के अगले कदम पर टिकी हैं कि क्या आठवले की नाराज़गी दूर होगी या गठबंधन की राह और कठिन होगी?
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