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This Article is From Jan 19, 2019

Lakshminama Book Review: धर्म, व्यापार और राजनीति का अर्थशास्त्र

धर्म, व्यापार और राजनीति आज भले ही अलग-अलग नजर आएं लेकिन लेकिन प्राचीन काल में ये तीनों एक दूसरे से बहुत गहरे जुड़े हुए थे और उसी जगह पर फलते-फूलते थे जहां इनका मेल होता था. इन्हीं स्थलों के आस-पास सभ्यताएं और संस्कृतियां पनपीं.

Lakshminama Book Review: धर्म, व्यापार और राजनीति का अर्थशास्त्र
लक्ष्मीनामा (धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की महागाथा)
नई दिल्ली:

धर्म, व्यापार और राजनीति आज भले ही अलग-अलग नजर आएं लेकिन लेकिन प्राचीन काल में ये तीनों एक दूसरे से बहुत गहरे जुड़े हुए थे और उसी जगह पर फलते-फूलते थे जहां इनका मेल होता था. इन्हीं स्थलों के आस-पास सभ्यताएं और संस्कृतियां पनपीं. ये बयान तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर पुस्तक लक्ष्मीनामा में तमाम कहानियों के साथ पेश किया गया है जो किताब के दो पेज पढ़ने वाले को आगे के पृष्ठ पढ़ने के लिए खुद मजबूर करता है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इन तीनों विषयों पर अलग-अलग किताबें तो अनेक लिखी गई हैं लेकिन तीनों के अंतर्संबंधों को उजागर करती हुई शायद हिंदी की यह पहली पुस्तक है. पत्रकार अंशुमान तिवारी कलम के महारथी हैं और निरंतर नया खोजने की लिखने के रचनाकर्म में उनका साथ दिया है अनिन्द्य सेनगुप्त ने. अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में यह किताब आपको मिलेगी. कमाल ये है कि दोनों ही भाषाओं में किताब की रचना हुई है, कोई किसी का अनुवाद नहीं है.

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मौजूदा भारतीय धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश के पीछे की कड़ियां और खासतौर पर अर्थशास्त्र से इसके संबंध की पड़ताल इसमें की गई है. ऋग्वेद की तलाश इतिहासविज्ञों को सबसे पुराने प्रमाणों की खोज में तुर्की के शहर बोगाजकोई ले गई. यहां मिले पुरालेखों में इंद्र, मित्र, वरुण और अश्विन जैसे नामों का उल्लेख है. पुरालेख प्राचीन हरीयन भाषा का है लेकिन ये नाम भारतीय आर्यदेवताओं के हैं. इनके आधार पर वेदों की रचना 1500 ईसापूर्व मानी जाती है. ऐसे अनेक हैरान करने वाले तथ्य लक्ष्मीनामा में आपको मिलेंगे. मालाबार की काली मिर्च ईसा 13वीं सदी ईसा पूर्व में ही मिस्र पहुंच चुकी थी और इससे वहां ममी का संरक्षण किया गया. 

सिखों के गुरु अपने अनुयायियों के आर्थिक हितों की अनदेखी कभी नहीं करते थे; गौतम बुद्ध ने अपने प्रवचन के लिए भारत के किस वाणिज्यिक शहर को चुना और बौद्ध धर्म को पल्लवित करने में व्यापार का क्या योगदान है; किस शासक ने मुस्लिम कारोबारियों के लिए मस्जिद बनाने को तरजीह दी;  ऐसे तमाम सवालों के जवाब और रोचक तथ्य इसमें मिलते हैं.

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हिंदू व्यापारियों ने निगेटिव नंबर प्रणाली यानी शून्य से पीछे की गणना शुरू की, कौटिल्य के अर्थशास्त्र ने ऑडिट के नियम तय किए और प्रचीन भारत में लोकतंत्र की जड़ें इतनी गहरी थीं कि समाज से ज्यादा ताकतवर राजा नहीं था. धर्म और समाज मिलकर राजा को पदच्युत करने की ताकत रखता था. ऐसे सभी तथ्यों को कहानियों के साथ सहेजकर इसमें रखा गया है. लक्ष्मीनामा की सबसे बड़ी खूबी जो हर पाठक महसूस कर रहा है कि इसे किसी भी पेज से पढ़ा जा सकता है. आप जहां से शुरू करेंगे वहीं से एक नई कहानी आपको मिलेगी. इसके बाद आगे पढ़ना है या पीछे जाना है आपकी मर्जी. ऐसी अनमोल किताबें सालों में एकाध लिखी जाती है और इसे पढ़ना हर सजग इंसान के लिए रुचिकर होगा.

लक्ष्मीनामा (धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की महागाथा)
लेखक- अंशुमान तिवारी/ अनिन्द्य सेनगुप्त
प्रकाशक- ब्लूम्सबेरी इंडिया
मूल्य- 699
 

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