विज्ञापन
This Article is From May 11, 2017

मेरी कहानियां गंदी हैं, तो तुम्हारा समाज भी अश्लील है: मंटो

अश्लीलता के इल्ज़ाम पर वे जवाब में कहते थे- ‘अगर आपको मेरी कहानियां अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है. मेरी कहानियां तो सच दर्शाती हैं.’

मेरी कहानियां गंदी हैं, तो तुम्हारा समाज भी अश्लील है: मंटो
एक कहानीकार ऐसा था, जिसने अपनी कहानियों के लिए जेल में समय बिताया और जुर्माने भरे. उसे अक्सर अश्‍लील और भद्दा लेखक कह कर लोग तंज कसते थे. लेकिन उसने अपनी कलम से उनके चेहरों का रंग कागज पर उतारा था, जो कागज की अश्लीलता तो देख लेते थे लेकिन अपने भीतर की नहीं... हम बात कर रहे हैं सआदत हसन मंटो की. अपनी कहानियों पर लगने वाले अश्लीलता के इल्ज़ाम पर वे जवाब में कहते थे- अगर आपको मेरी कहानियां अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है. मेरी कहानियां तो सच दर्शाती हैं.’

बहुचर्चित साहित्यकार सहादत हसन मंटो ने बंटवारे पर आधारित खूब कहानियां लिखीं. वे साहित्यकार होने के साथ-साथ एक पत्रकार थे और रेडिओ के लिए भी लिखते थे. शायद यही वजह रही कि वे समाज और समाज को दोहरे चरित्रों को इतना जीवंत कर पाए. 

मंटो ने 22 लघु कहानी संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह लिखे. उनकी कहानियों को लेकर उन्हें अक्सर विवादों और मुकदमों का सामना करना पड़ा. पेश हैं मंटो की पांच वो कहानियां जो जहन में परजीवी की तरह बस जाती हैं... 

टोबा टेक सिंह 
मंटो की कहानी टोबा टेक सिंह एक प्रसिद्ध लघु कथा है. इस कथा का आधार भारत-पाक विभाजन है. उस दौर में लाहौर के एक पागलख़ाने के पागलों पर आधारित है इसका कथानक. ये लघु कथा भारत-पाक सम्बन्धों पर एक बड़ा तंज है. 

कहानी में विभाजन के समय दोनों देशों के बीच हिन्दू-सिख और मुस्लिम पागलों की अदला-बदली करने पर समझौता किया. लाहौर के पागलख़ाने में एक पागल बिशन सिंह था, जो टोबा टेक सिंह का रहने वाला था. उसे भारत रवाना किया जाता है, लेकिन जब से पता चलता है कि उसका शहर बंटवारे में पाकिस्तान की तरफ़ पड़ गया है, तो वह जाने से इनकार कर देता है. इस कहानी का अंत बेहद मार्मिक है, जब बिशन सिंह सरहद में कंटीली तारों के बीच मरता हुआ दिखाया गाया है. 

साहित्यिक चोरी मामला: अपनी सफाई में बोले चेतन भगत, मैं बेवकूफ नहीं हूं...

बू
मंटो की कहानी 'बू' ने मंटों को अदालत के दरवाजे तक पहुंचा दिया था. जब इस कहानी पर अश्लीलता के आरोप लगने के बाद मुकदमा कर दिया गया था. इस कहानी में मंटो ने एक युवक रणधीर के विचारों और उसके एक लड़की के साथ उसके यौन सम्बंध पर विस्तार से लिखा है. बू पर अश्लीलता के आरोप लगे और इसके बाद मंटो को कानूनी पचड़ों का सामना करना पड़ा था.

मदर्स डे 2017: मां के प्रेम और दुलार का अहसास कराती हैं ये किताबें

खोल दो 
वास्तव में, यही तो कहना चाहते थे मंटो. कहानी खोल दो को मंटो बंटवारे के समय महिलाओं को केंद्र में रखकर लिखा है. उस दौरान महिलाओं पर किस तरह अत्याचार हुए, वे कैसे दो देशों के बनने में बिखर गईं, इन सभी मुद्दों पर मंटो ने मार्मिक तरीके लिखा है. इस कहानी को पढ़ते-पढ़ते अक्सर पाठक के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. 

ठंडा गोश्त
मंटो की कहानी ठंडा गोश्त भी विभाजन पर आधारित थी. इस कहानी के चलते मंटो को एक बार फिर कोर्ट के चक्कर काटने पड़े थे. मंटो को उनकी तीन कहानियों बू, काली सलवार और ठंडा गोश्त के लिए उसे तीन महीने की सजा हुई और साथ ही साथ 100 रूपए जुर्माना भी भरना पड़ा.

रवींद्रनाथ टैगोर के ये विचार बताते हैं जीने की राह, पढ़कर बदल जाएगा आपके सोचने का तरीका

काली सलवार
विभाजन पर लिखी एक और कहानी. मंटो की इस कहानी पर साल 2002 में एक हिंदी फिल्म में भी बन चुकी है. जिसमें इरफान खान और सादिया सिद्दीकी और सुरेखा सीकरी ने अभिनय किया था.

काली सलवार की कहानी सुलताना नाम की वेश्या के इई-गिर्द है. इस कहानी में वेश्याओं की इच्छाओं और अरमानों को खोल कर रख दिया गया है. इस कहानी में मंटो बताना चाहते हैं कि समाज का यह तबका बस किसी की जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं है, उनमें भी दिल है, जो इच्छाएं और सपने पालता है.
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com