नवाजुद्दीन सिद्दीकी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मंझे हुए कलाकारों में से एक हैं. अगर बेहतरीन एक्टिंग की बात हो और नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नाम ना हो तो वो चर्चा ही अधूरी है. सपोर्टिंग रोल से उन्होंने मेन कैरेक्टर तक की ऐसी छलांग लगाई कि आज उनका नाम बड़े कलाकारों में शामिल हो गया. कौन जानता था कि 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' में सुनील दत्त से पिटने वाला लड़का गैंग्स ऑफ वासेपुर, मांझी, मंटो, ठाकरे, सेक्रेड गेम्स जैसे शानदार शो से जाना जाएगा...आज नवाजुद्दीन सिद्दीकी वो नाम बन चुके हैं जिसे सुनते ही लोग आंखे बंद कर थियेटर पहुंच जाते हैं. फैन्स को उन पर एक भरोसा बंध गया है कि नवाज भाई हैं तो कुछ बेहतर ही होगा. आज वो एक सेलेब्रिटी स्टेटस इंजॉय कर रहे हैं लेकिन एक समय ऐसा था जब दो वक्त की रोटी के लिए स्ट्रगल कर रहे थे. उनके लिए राह हमेशा ऐसी आसान नहीं थी.
उनके करियर के शुरुआती दिनों की तो क्या ही बात की जाए. उन्होंने डेढ़ साल तक दिल्ली में नौकरी की. कभी केमिस्ट की दुकान पर दवाइयां बेचीं तो कभी चौकीदार बने. सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1974 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से कस्बे और तहसील बुढ़ाना में एक जमींदारी मुस्लिम परिवार में हुआ था. वह अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से केमिस्ट्री में बीएससी की. इसके बाद नई नौकरी की तलाश में दिल्ली जाने से पहले उन्होंने एक साल वडोदरा में एक केमिस्ट के तौर पर काम किया.
कैसे हुए एक्टिंग में दिलचस्पी?
नवाज ने एक बार दिल्ली में एक नाटक देखा. वह नाटक देखकर उससे इतने इंप्रेस हुए कि नई दिल्ली में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में एडमिशन करने के लिए तय गाइडलाइन्स में से एक को पूरा करने के लिए उन्होंने दोस्तों के एक ग्रुप के साथ दस से ज्यादा नाटकों में एक्टिंग की. नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने 1999 में आमिर खान की फिल्म 'सरफरोश' में एक छोटी से रोल के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की. इसके बाद वह राम गोपाल वर्मा की 'शूल', 'जंगल', राजकुमार हिरानी की 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' में दिखाई दिए. मुंबई आने के बाद उन्होंने टेलीविजन शो में काम पाने की कोशिश की लेकिन उन्हें ज्यादा सक्सेस नहीं मिली.
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