लोगों की भीड़ से खचाखच भरा ऑडिटोरियम, सामने मंच पर कुर्ते पजामे में बैठा शांत लहजे और अदब वाला शख्स. रंगीन लाइटों में दमकते चेहरे वाला इंसान जब घुंघराले बालों की लटो को झटकते हुए तबले पर हथेलियों और उंगलियों की थाप देता तो हर कोई उनका मुरीद हो जाता है. ऐसी महान शख्सियत हैं उस्ताद जाकिर हुसैन. जाकिर हुसैन जब तबले की थाप देते हैं तो लगता फिजाएं ज्यादा रंगीन हो गई और शाम और मस्तानी. जिसने जाकिर हुसैन के तबले की थाप सुनी वो हमेशा उसे भूल नहीं पाएगा.
जाकिर के बचपन का मजेदार किस्सा
जाकिर हुसैन ने कला की दुनिया में जो नाम कमाया, उसका कोई दूसरा सानी नहीं है. जाकिर हुसैन की कामयाबी के पीछे कई दिलचस्प कहानियां और किस्से हैं. ऐसी ही एक दिलचस्प किस्सा उनके बचपन से भी जुड़ा है, जो बेहद ही मजेदार भी है. जिसके बारे में आप भी सुनकर आपको पता चलेगा कि उनका बचपन में नटखट बच्चों जैसा ही बीता. जाकिर हुसैन को बचपन से ही म्यूजिक से कितना लगाव था, इसका अंदाजा इससे लगा लीजिए कि उन्हें एक बार तो मां की डांट तक खानी पड़ी.
झूठ बोलने पर जब मां ने की खूब पिटाई
जाकिर हुसैन ने भी म्यूजिक के लिए बड़ा झूठ बोला. असल में उनकी मां चाहती थी कि वो एक डॉक्टर बने. इसलिए जाकिर की मां उन्हें प्रोग्राम में जाने के लिए मना करती रहती थीं. पिता के प्रोग्राम के लिए लेटर आते थे. अब वो तो हर वक्त मौजूद नहीं रहते थे, तो इन चिट्ठियां बीच में ही पकड़कर जाकिर ने जवाब लिखा कि पिता तो फ्री नहीं हैं, मैं उनका बेटा हूं. मैं आ सकता हूं. तो लोग बुला लेते थे कि उस्ताद अल्ला रखा खां के बेटा है.
तब भले ही जाकिर छोटे हों, लेकिन उनके हुनर में कोई कमीं नहीं थी. लोग भी इस बात से अच्छे से वाकिफ थे. इसलिए लोग उन्हें बुला लेते थे. पटना और बनारस में 12-13 साल की उम्र कई जगह प्रोग्राम किए. लेकिन एक बार स्टेशन पर मां ने पकड़ लिया और फिर घर लाकर उनकी खूब पिटाई हुई. उसके बाद वो कभी ऐसा नहीं कर पाएं. हां, उन दो तीन सालों में उन्होंने खूब सोलो परफॉर्मेंस दी थी.
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