दिल्ली सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. दरअसल, NGT ने जनवरी में एक आदेश देकर दिल्ली के उपराज्यपाल को यमुना सफाई के लिए बनाई गई हाई लेवल कमिटी का चेयरपर्सन घोषित किया था. साथ ही यमुना की सफाई को लेकर केंद्र, दिल्ली और अन्य सभी एजेंसियों के आला अधिकारियों के साथ बैठक शुरू कर दी थी और यमुना के अलग-अलग इलाकों के दौरे शुरू कर दिया था.
हालांकि, दिल्ली सरकार ने एनजीटी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश में दी गई व्यवस्था के खिलाफ बताया है. केजरीवाल सरकार आपत्ति कर रही है कि यमुना सफाई के मामले में उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार के काम का क्रेडिट ले रहे हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट NGT का आदेश रद्द करे और दिल्ली की चुनी हुई सरकार को मिले जनादेश का सम्मान सुनिश्चित करे.
9 जनवरी के अपने आदेश में एनजीटी ने डीडीए के चेयरमैन होने के नाते उपराज्यपाल को यमुना की कमिटी का अध्यक्ष बनने को कहा था. यमुना की सफाई पर चिंता जताते हुए एनजीटी ने कहा था कि न्यायिक निगरानी के बावजूद दिल्ली में यमुना की सफाई का काम ढंग से नहीं हुआ है.
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