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भारत की बाघ कथा: दुनिया के 75% टाइगर यहीं, कहां कितनी संख्‍या, कैसे बाघों ने जंगलों को किया जिंदा?

International Tiger Day: नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मुताबिक, बाघों की संख्या, जो 2010 में अनुमानित 1,706 थी, वो 2022 में बढ़कर 3,682 हो गई. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में जितने बाघ हैं, उनका तीन चौथाई हिस्‍सा यानी 75 फीसदी बाघ, भारत में हैं.

भारत की बाघ कथा: दुनिया के 75% टाइगर यहीं, कहां कितनी संख्‍या, कैसे बाघों ने जंगलों को किया जिंदा?
  • भारत में बाघों की संख्या पिछले एक दशक में दोगुनी होकर 2010 के 1,706 से बढ़कर 2022 में 3,682 हो गई है.
  • भारत में विश्व के कुल बाघों का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा मौजूद है, जो संरक्षण के लिए गर्व की बात है.
  • प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत 1973 में हुई थी, जब बाघों की संख्या 1,827 तक गिर गई थी. इस प्रोजेक्‍ट का असर दिखा.
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नई दिल्‍ली:

International Tiger Day: बाघ सिर्फ जंगल की दहाड़ ही नहीं, बल्कि वो पूरे जंगल के इकोसिस्‍टम की सेहत का प्रतीक है. बाघ हैं तो जंगल है, जंगल है तो बारिश है. बारिश हैं तो नदियां हैं और नदियां हैं तो जीवन है. जब बाघों की संख्या बढ़ती है, तो इसका मतलब है- जंगलों की हालत सुधर रही है. इसी साल जनवरी में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि एक दशक से भी कम समय में देश में बाघों की संख्‍या दोगुनी हो गई है.

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मुताबिक, बाघों की संख्या, जो 2010 में अनुमानित 1,706 थी, वो 2022 में बढ़कर 3,682 हो गई. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में जितने बाघ हैं, उनका तीन चौथाई हिस्‍सा यानी 75 फीसदी बाघ, भारत में हैं.

ये हमारे लिए बेहद गर्व की बात है. और ये कामयाबी मिली कैसे? बाघों के अवैध शिकार और हैबिटेट लॉस से बचाकर, मानव-वन्‍यजीव संघर्ष को कम करके, बाघों के लिए पर्याप्‍त शिकार सुनिश्चित करके और वन्‍यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाकर. और आज का दिन तो बेहद ही खास है, क्‍योंकि आज है- अंतरराष्‍ट्रीय बाघ दिवस.

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वर्ल्ड टाइगर डे का Tx2 टारगेट

हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (World Tiger Day) मनाया जाता है, जो कि सिर्फ एक प्राणी को बचाने का नहीं, बल्कि एक पूरे इकोसिस्‍टम यानी पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा का प्रतीक है. अवैध शिकार, जंगलों की कटाई और इंसानी दखल की वजह से बाघों का अस्तित्व खतरे में आया. इनकी संख्‍या बढ़ाने के उद्देश्‍य से साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए टाइगर समिट हुई थी.

इसी समिट में वर्ल्ड टाइगर डे मनाने का निर्णय लिया गया. यहां 13 टाइगर रेंज देशों ने मिलकर वादा किया था कि 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करेंगे- यही था Tx2 लक्ष्य. भारत ने ये लक्ष्‍य 10 साल से भी कम समय में पूरा कर लिया.

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प्रोजेक्ट टाइगर: सबसे बड़ी कोशिश

1973 में जब भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की, तो देश में बाघों की संख्या बस 1,827 रह गई थी - जबकि 1900 में ये संख्या 40,000 से भी अधिक आंकी जाती थी. यही चिंता प्रोजेक्‍ट टाइगर की शुरुआत की वजह बनी.

इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य था- बाघों और उनके आवास को संरक्षित करना, अवैध शिकार रोकना और लोगों में जागरूकता लाना. शुरुआत नौ रिजर्व से हुई थी, लेकिन आज देश में 58 टाइगर रिजर्व हैं, जो 75,000 वर्ग किमी से ज्यादा क्षेत्र में फैले हैं. 10 साल से कम समय में भारत में बाघों की संख्‍या दोगुनी हो चुकी है.

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दुनिया के 75 फीसदी बाघ भारत में

2022 में कैमरा ट्रैप से मिली जानकारी के आधार पर बताया है कि भारत में कम से कम 3,167 बाघ हैं. PIB ने अपनी रिपोर्ट में अधिकतम अनुमान 3,925 और औसत 3,682 है. यानी पिछले 50 साल में भारत ने बाघों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा कर दी. यहां तक कि दुनिया के कुल बाघों में से 75% बाघ भारत में ही हैं. इस पर गर्व जताते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा- 'Let the roars grow louder' यानी बाघों की दहाड़ और तेज होने दी जाए.

देश में कहां हैं सबसे ज्यादा बाघ?

सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में हैं, जहां इनकी संख्‍या 785 बताई जाती है. इसके बाद आता है, कर्नाटक, जहां 563 बाघ हैं, जबकि तीसरे नंबर पर आने वाले उत्तराखंड में 560 बाघ हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में भी बाघों की संख्‍या बढ़कर 222 हो गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूरे देश में 3,080 से ज्‍यादा बाघ कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड हुए हैं. हालांकि, पश्चिमी घाट जैसे इलाकों में बाघों की संख्या में गिरावट आई है. मिजोरम, नागालैंड, गोवा, झारखंड, अरुणाचल जैसे राज्यों में बाघों की संख्या अब भी चिंताजनक है.

कुछ प्रमुख टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्‍या...

  • कॉर्बेट टाइगर रिजर्व– 260
  • बांदीपुर टाइगर रिजर्व– 150
  • नागरहोल टाइगर रिजर्व– 141
  • बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व – 135
  • दुधवा टाइगर रिजर्व– 135
  • कान्हा टाइगर रिजर्व– 105
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यूपी भी टाइगर स्टेट बनने की ओर

2018 में जहां यूपी में 173 बाघ थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 222 हो गई. इसका श्रेय जाता है बेहतर गश्त, आधुनिक तकनीक और 'बाघ मित्र' जैसे समुदाय आधारित कार्यक्रमों को. यहां के दुधवा टाइगर रिजर्व में 135 बाघ हैं.

  • पीलीभीत – 63
  • अमानगढ़ – 20
  • रणीपुर – 4

‘बाघ मित्र' अब ऐप और व्हाट्सएप के जरिए वन विभाग को बाघों की लोकेशन, तस्वीरें और व्यवहार की जानकारी देते हैं, जिससे ह्यूमन-वाइल्डलाइफ कॉन्फ्लिक्ट में भारी कमी आई है.

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बाघों के प्रति कैसे बदल गई सोच?

पहले बाघों की गिनती अनुमान और पैरों के निशानों से होती थी. लेकिन अब कैमरा ट्रैप, M-Stripes ऐप, GPS और डिजिटल मैपिंग से आंकड़े न सिर्फ सटीक आते हैं, बल्कि पारदर्शिता भी बनी रहती है.

सरकार ने देश को 5 बायोजियोग्राफिक लैंडस्केप में बांटकर कोर और बफर जोन की नीति अपनाई है - जिससे वन्यजीवों और इंसानों के बीच संतुलन बन सके.

बाघों की दहाड़ के पीछे दो चेहरे

अगर मछली बाघिन को प्रोजेक्ट टाइगर का चेहरा माना जाए, तो इसके दिमाग थे - कैलाश संखला, जिन्हें 'टाइगर मैन ऑफ इंडिया' कहा जाता है. 1956 में ही जब शिकार आम बात थी, संखला ने बाघों के लिए आवाज उठानी शुरू की. 1973 में जब इंदिरा गांधी ने प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया, तो संखला इसके पहले डायरेक्टर बने.

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उन्होंने सरिस्का, भरतपुर, रणथंभौर जैसे रिज़र्व को मैनेज किया और Delhi Zoo को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर ले गए. 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. 1994 में उनके निधन से पहले उन्होंने Tiger Trust नामक NGO की स्थापना की, जो आज भी संरक्षण का काम कर रहा है.

संरक्षण के साथ जोड़ने की जरूरत

देश में करीब 35% टाइगर रिजर्व अभी भी सुधार की मांग कर रहे हैं - हैबिटैट पुनर्स्थापना, घास वाले जानवरों की संख्या बढ़ाना और बाघों की आबादी और बढ़ाना जैसे कदम जरूरी बताए जाते हैं. जानकार बताते हैं कि खनन, निर्माण और मानव दखल को नियंत्रित करना होगा. साथ ही वन विभाग को सामुदायिक सहभागिता, तकनीकी मदद और सख्त कानूनों की जरूरत है.

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आज जब हम बाघों की संख्या बढ़ने पर गर्व कर रहे हैं तो हमें ये भी याद रखना होगा कि शिकार और आवास विनाश (Habitat Loss) अब भी उनके लिए खतरा है. एक बार फिर से वही बात कि बाघ हैं तो जंगल हैं और जंगल हैं तो जीवन है.

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