देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले दो बड़े गठबंधन आमने-सामने हैं. एक तरफ जहां सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) गठबंधन है वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दलों के खेमे के नए गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A.) ने ताल ठोकनी शुरू कर दी है. इन दोनों गठबंधनों में देश के कई राजनीतिक दल शामिल हैं. अब नजर उन दलों पर लगी है जो इन दोनों गठबंधनों से दूर हैं. लोकसभा सदस्यों की कुल संख्या 543 है और खास बात यह है कि इन 11 राजनीतिक पार्टियों के कुल 91 सांसद हैं. इन सभी की अपने-अपने राज्यों में प्रभावी मौजूदगी है. गठबंधनों से परे रहकर एकला चलो के सिद्धांत को अपनाने वाले यह दल सत्ता के समीकरण में बहुत अहम साबित हो सकते हैं.
देश के 65 राजनीतिक दलों ने एनडीए औेर ‘इंडिया'दोनों में से किसी एक मोर्चे का साथ चुन लिया है, लेकिन 11 महत्वपूर्ण दल ऐसे भी हैं जो अब तक किसी पाले में नहीं हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा से लोकसभा में कुल 63 सदस्य चुनकर पहुंचते हैं. इन तीनों राज्यों की सत्तारूढ़ पार्टियां क्रमश: वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (BRS) और बीजू जनता दल (BJD) दोनों गठबंधनों से दूर हैं.
कांग्रेस और 25 विपक्षी दलों ने मंगलवार को बेंगलुरु में बैठक करके अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) तय किया. दूसरी तरफ, मंगलवार को ही भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की बैठक हुई जिसमें 39 दल शामिल हुए.
वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजेडी के अलावा बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी एक ऐसी महत्वपूर्ण पार्टी है जिसने तटस्थ रुख अपनाया है. बीएसपी का उत्तर प्रदेश में मुख्य आधार है और कई अन्य राज्यों में भी उसकी मौजूदगी है. वह एक राष्ट्रीय पार्टी है और लोकसभा में उसके 9 सदस्य हैं.
बीएसपी प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), तेलुगु देसम पार्टी (TDP), शिरोमणि अकाली दल (SAD), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF), जनता दल (सेक्युलर), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (मान) भी अभी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.
वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी ने ज्यादातर मौकों पर संसद में सत्तापक्ष के समर्थन में मतदान किया है.
बीजेडी प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य में केंद्रीय योजनाओं को पर्याप्त समर्थन न देने के लिए भाजपा की आलोचना की है और पार्टी के सांसदों से, गुरुवार को शुरु होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा जोरशोर से उठाने के लिए कहा है.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि उनकी पार्टी के साथ ‘राजनीतिक अछूत' की तरह व्यवहार किया जा रहा है. उनकी पार्टी का असर हैदराबाद में है और वह देश के कुछ अन्य हिस्सों में अपने विस्तार का प्रयास कर रही है.
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