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क्या चिराग पासवान के वोट बैंक में सेंध लगा पाएंगे प्रशांत किशोर, जन सुराज की दूसरी लिस्ट से क्या निकला संदेश

जन सुराज ने सोमवार को अपने 65 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की. इसकी खास बात यह है कि इस छह पासवान उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. क्या इस तरह से प्रशांत किशोर लोजपा (रामविलास) के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं.

क्या चिराग पासवान के वोट बैंक में सेंध लगा पाएंगे प्रशांत किशोर, जन सुराज की दूसरी लिस्ट से क्या निकला संदेश
  • जन सुराज ने 65 उम्मीदवारों की सूची जारी की. इसमें सामान्य वर्ग की 46 और अनुसूचित जाति-जनजाति की 19 सीटें हैं.
  • इस सूची में छह पासवान टाइटल वाले उम्मीदवार शामिल हैं. ये लोजपा (रामविलास) के लिए चुनौती हो सकते हैं.
  • बिहार में चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को एनडीए में 29 सीटें मिली हैं.
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नई दिल्ली:

प्रशांत किशोर की जन सुराज ने अपने उम्मीदवारों की दूरसी लिस्ट सोमवार को जारी की. इसमें 65 उम्मीदवारों के नाम हैं. जन सुराज की यह लिस्ट कई मायनों में अलग है. इस लिस्ट में जन सुराज ने सामान्य वर्ग की 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार की घोषणा की. इनके अलावा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 18 सीटों और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित एक सीट पर उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. इस लिस्ट में सामान्य वर्ग के 11 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. इस लिस्ट की खास बात यह है कि जन सुराज ने पासवान टाइटल वाले छह लोगों को टिकट दिए हैं. यह केंद्रीय मंत्री की लोजपा (रामविलास) के लिए एक खतरे की घंटी हो सकती है. लोजपा (रामविलास) एनडीए में शामिल है. 

बिहार में  चिराग पासवान की ताकत क्या है

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने रविवार को अपने सीट बंटवारे की घोषणा की. इस बंटवारे में चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 29 सीटें मिली हैं. पासवान मनमाफिक सीटें न मिलने से नाराज बताए जा रहे थे. इसलिए बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें मनाने के बाद सीट बंटवारे की घोषणा की. यह एनडीए के लिए पासवान की जरूरत को बताता है. एनडीए इस चुनाव में एक-एक सीट के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. इसलिए बीजेपी के बड़े नेताओं ने पासवान को मनाया. 

यह उनकी बिहार में राजनीतिक ताकत को बताता है. दरअसल पासवान जिस दुसाध जाति से आते हैं, वह करीब 15 फीसदी यादवों के बाद बिहार की दूसरी सबसे बड़ी जाति है. बिहार जातिय सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार में दुसाधों की आबादी 5.31 फीसदी है. माना जाता है कि बिहार में चिराग पासवान दुसाधों के सबसे बड़े निर्विवाद नेता हैं.साल 2020 का चुनाव लोजपा ने बिना किसी गठबंधन के लड़ा था. लोजपा ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे 5.8 फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद भी पार्टी केवल एक सीट ही जीत पाई थी. वह 10 सीटों पर दूसरे सीटों पर रही थी और 94 सीटों पर तीसरे नंबर पर. लेकिन इस चुनाव के बाद लोजपा दो हिस्सों में टूट गई थी. चिराग की पार्टी को लोजपा (रामविलास) नाम मिला था. वहीं उनके चाचा पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा नाम मिला.  

क्या बिहार में बंट जाएगा दुसाध वोट बैंक

परिवार में हुई बगावत के बाद माना जा रहा था कि चिराग पासवान कमबैक नहीं कर पाएंगे. लेकिन लोकसभा चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट 100 फीसदी रहा. जो पांच सीटें उन्हें मिली थीं, उन सभी पर वो जीतने में सफल रहे. लेकिन मंगलवार को आई जन सुराज के उम्मीदवारों की दूसरी सूची यह बताती है कि यह नई नवेली पार्टी भी चिराग के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है. जन सुराज न कुशेश्वर स्थान से शत्रुध्न पासवान, रोसड़ा से रोहित पासवान, बखरी से डॉक्टर संजय कुमार पासवान, हरनौत से कमलेश पासवान, राजपुर से धनंजय पासवान और कुटुंबा से महाबली पासवान. ये उन उम्मीदवारों के नाम हैं, जो अपने नाम के साथ पासवान टाइटल लगाते हैं. हो सकता है कि जन सुराज ने बिना पासवान टाइटल वाले दुसाध जाति के उम्मीदवार भी उतारे हों. इसके बारे में कुछ समय बाद पता चल पाएगा. 

जन सुराज की इस कोशिश को चिराग पासवान के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश माना जा रहा है,क्योंकि अबतक के चुनाव परिणाम बताते हैं कि पासवान वोट बैंक उनके साथ हर स्थिति में बना हुआ है. लेकिन जिस तरह से जन सुराज ने पासवान उम्मीदवार उतारे हैं, उससे चिराग का वोट बैंक खतरे में नजर आ रहा है. बिहार की राजनीति के कई जानकार बताते हैं कि पासवान समाज भी चिराग से बहुत अधिक खुश नहीं है. वह विकल्प के अभाव में लोजपा को वोट देता है. उनका कहना है कि लोजपा ने पासवान समाज के लिए कुछ नहीं किया है. इसके लिए वो लोकसभा चुनाव का उदाहरण देते हैं. लोजपा (रामविलास) ने जिन पांच सीटों पर चुनाव लड़ा और जीता उनमें से केवल दो दुसाध ही शामिल थे. इनमें चिराग और उनके बहनोई अरुण कुमार शामिल थे. इसलिए उनके विरोधियों का कहना है चिराग को अपने परिवार से बाहर के दुसाध नजर नहीं आते हैं. अगर जन सुराज इस नाराजगी को भुना ले जाती है तो चिराग पासवान को घाटा उठाना सकता है. 

कुटुंबा में रोचक हुई लड़ाई

जन सुराज ने अपनी लिस्ट में कई और प्रयोग किए हैं. खासकर सामान्य सीटों पर दलित उम्मीदवार उतार कर. इसमें प्रमुख है हरनौत विधानसभा सीट. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1995 में इस सीट से समता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे. उसके बाद से यह सामान्य सीट जेडीयू के कब्जे में है. जन सुराज ने इस सीट पर कमलेश पासवान को उम्मीदवार बनाया है. एनडीए और महागठबंधन दोनों के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश है. इसी तरह से औरंगाबाद की कुटुंबा सीट पर जन सुराज ने महाबली पासवान को उम्मीदवार बनाया है. इससे कुटुंबा सीटपर रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. दरअसल कुटुंबा से 2020 के चुनाव में कांग्रेस के राजेश राम विधायक चुने गए थे. वो इस समय बिहार के कांग्रेस अध्यक्ष हैं. इस तरह से कुटुंबा में जन सुराज ने पासवान और चमार जाति के बीच लड़ाई की कोशिश की है. बिहार में रविदास (चमार) की आबादी करीब करीब दुसाध के बराबर है. जाति सर्वेक्षण के आंकोड़ों के मुताबिक बिहार में रविदास (चमार) की आबादी करीब 5.25 फीसदी हैं. लेकिन इस समय रविदास (चमार) जाति का काई नेता नहीं है. कांग्रेस ने राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर रविदास नेतृत्व खड़ा करने की कोशिश कर रही है. लेकिन जन सुराज ने कुटुंबा में पासवान उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस की राह मुश्किल कर दी है.   

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