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नीतीश का जादू या तेजस्वी का यूथ? पहले चरण की बंपर वोटिंग में पहेली ही पहेली

बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार फैक्टर एक बार फिर से साफ दिख रहा है. पहले चरण में बंपर वोटिंग को सियासी पंडित आकलन करने में जुटे हैं.

नीतीश का जादू या तेजस्वी का यूथ? पहले चरण की बंपर वोटिंग में पहेली ही पहेली
बिहार चुनाव में नीतीश कुमार हैं एक्स फैक्टर
पटना:

कल चुनाव खत्म होने के बाद लगभग हर बिहार निवासी इसी जोड़ घटाव में लगा है कि आखिरकार इतनी जबरदस्त वोटिंग के बाद किसकी जीत होगी ? और यह दूसरे चरण के चुनवा में कैसा असर देगा? लहरविहीन इस चुनाव में भाजपा ने प्रचार बीस वर्ष पूर्व की लालू राबड़ी राज की यादों से शुरू किया तो तेजस्वी ने ताबड़तोड़ घोषणाएं वहीं नीतीश कुमार अपने कामों को जनता के बीच लेकर गए. 

कई जिले, हिस्से.. बिहार को समझना आसान नहीं 

लेकिन बिहार क्षेत्र ,बोली, सभ्यत , संस्कृति के आधार पर कई हिस्सों में है और हर हिस्से में कई जिले हैं. हर जिले के अंदर कई विधानसभा क्षेत्र हैं. हर विधानसभा क्षेत्र की राज्य स्तरीय समस्या, समाधान, धार्मिक राजनीति, जातीय राजनीति के अलावा उस क्षेत्र का अपना एक सामाजिक स्वाद है जिसका स्वाद चुनाव के वक्त नजर आता है . 

नीतीश हैं मजबूत

मोटे तौर पर नीतीश कुमार को लोगों ने सराहा है तो तेजस्वी के पास एक भावनात्मक कैडर वोट भी है जो किसी भी हाल में उनको छोड़ने को तैयार नहीं है. भाजपा के साथ उनका समर्पित कार्यकर्ता है तो अन्य छोटे दल के पास उनकी जाति का वोट बैंक है. अब ऐसे कई कारकों या फैक्टर को हर क्षेत्र के हिसाब से जोड़ कर ही कोई आकलन लगाया जा सकता है कि बड़ा हुआ वोट प्रतिशत किधर गया है जहां छठ बाद प्रवासी बिहारी की एक बड़ी आबादी बिहार में रुकी हुई है जहां प्रशांत किशोर मजबूत धमक रखे हुए हैं.

कई जगह मुकाबला कड़ा 

लेकिन मुकाबला कड़ा है. कई निर्दलीय या अन्य पार्टी को पोलिंग एजेंट तक नहीं मिले तो वो कितना वोट काटेंगे, यह आकलन भी मुश्किल है. उससे भी कठिन आकलन यह है की प्रशांत किशोर या अन्य निर्दलीय किसका वोट काट रहे हैं. 

सीमांचल में ओवैसी फैक्टर 

सीमांचल में ओवैसी महागठबंधन को कितना नुकसान पहुंचायेंगे यह भी एक बड़ा फैक्टर है. पिछले चुनाव लालू-तेजस्वी का माई गणित सीमांचल में दरक गया था. इस बार ये वोटर फिर दरकेगा या तेजस्वी संभाल लेंगे, यह एक बड़ा प्रश्न है. फिलहाल पहले चरण बाद सभी दल अपनी अपनी जीत की अपेक्षा का घोषणा कर रहे हैं ताकि दूसरे चरण के उनके कोर वोटर का मनोबल बढ़ा रहे. 

पर जनता है मौन 

आम जनता मौन है. सोशल मीडिया में हल्ला है. अति पिछड़ा चुप है और महिलाएं मुस्कुराते हुए वोट कर रही हैं. प्रत्याशिओं की नींद उड़ी हुई है. वोट प्रतिशत बढ़ा है. प्रवासी अभी भी रुके हुए हैं और 14 नवंबर काफी दूर दिख रहा है. 

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