पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन (INDIA bloc) के नेतृत्व को लेकर हाल ही में की गई एक टिप्पणी पर गठबंधन के अंदर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई है. ममता बनर्जी ने शुक्रवार को एक समाचार चैनल से बातचीत करते हुए इंडिया गठबंधन के नेतृत्व और इसमें समन्वय को लेकर निराशा जताई थी.
ममता बनर्जी ने कहा था, "मैंने इंडिया गठबंधन गठित किया था, अब इसको मैनेज करने का काम मोर्चे का नेतृत्व करने वालों पर है. अगर वे शो नहीं चला सकते, तो मैं क्या कर सकती हूं? मैं बस इतना ही कहूंगी कि सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है."
जब ममता से पूछा गया कि उन्होंने स्वयं गठबंधन का कार्यभार क्यों नहीं संभाला, तो उन्होंने कहा, "यदि मुझे अवसर दिया गया तो मैं इसका सुचारू संचालन सुनिश्चित करूंगी. मैं पश्चिम बंगाल से बाहर नहीं जाना चाहती, लेकिन मैं इसे यहीं से चला सकती हूं."
घोष ने कहा, "उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, उन्होंने कहा कि उन्होंने इंडिया गठबंधन की स्थापना की है और यह भाजपा के खिलाफ एक आवश्यक मोर्चा है. उनकी प्राथमिकता पश्चिम बंगाल है. ममता बनर्जी को दिल्ली में कुर्सी की कोई दिलचस्पी नहीं है. अगर इंडिया ब्लॉक उनसे नेतृत्व चाहता है, तो वे कोलकाता से ही ऐसा करेंगी."
ममता के बयान पर आने लगीं प्रतिक्रियाएं
इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के कई प्रमुख नेताओं ने ममता बनर्जी के बयानों पर प्रतिक्रियाएं दीं. सीपीआई (एम) के नेता डी राजा ने कहा, "मुझे नहीं पता कि उनका क्या मतलब है, एग्जिट पोल आने के बाद इंडिया गठबंधन की केवल एक बैठक हुई. यह एक तथ्य है, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि इंडिया गठबंधन का उद्देश्य क्या है, 'देश बचाओ, भाजपा हटाओ' यह एक साझा संकल्प था. यहां मुद्दा यह है कि हर राज्य में स्थिति एक जैसी नहीं है."
इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में देखी जाने वाली कांग्रेस ने ममता बनर्जी की टिप्पणी पर सावधानी के साथ प्रतिक्रिया दी,
कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने कहा, "उनकी अपनी राय और इरादा है. ममता इंडिया गठबंधन की सदस्य हैं. जो भी बातचीत होगी, यह स्वाभाविक है कि सभी लोग एक साथ बैठेंगे और फैसला करेंगे."
कांग्रेस का आम सहमति की ओर इशारा
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने गठबंधन के भीतर आम सहमति की आवश्यकता की ओर इशारा किया. उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "नीतीश कुमार ने भी इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताई है. लेकिन इस तरह के गठबंधन में नेतृत्व के फैसले एकतरफा नहीं लिए जाते. इसके लिए सभी सदस्यों के बीच सहमति और परामर्श की जरूरत होती है. गठबंधन सामूहिक रूप से तय करेगा कि कौन नेतृत्व करेगा, कौन संयोजक होगा, या अगर कोई अध्यक्ष होगा, तो वह व्यक्ति कौन होगा. नेताओं के लिए नेतृत्व करने की इच्छा रखना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसे फैसले व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के बारे में नहीं होते."
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने भी इस भावना को दोहराते हुए कहा, "इंडिया गठबंधन कई दलों का गठबंधन है और नेतृत्व के फैसले सामूहिक रूप से लिए जाएंगे."
कांग्रेस के एक अन्य सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि इन निर्णयों पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी से चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "इस मामले पर विपक्ष के नेता और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से चर्चा होनी चाहिए. यह मीडिया में बहस करने की बात नहीं है. अगर ममता बनर्जी के पास कोई सुझाव है तो उसे सभी सदस्य दलों के बीच चर्चा के लिए रखा जाना चाहिए और उसके अनुसार निर्णय लिए जाएंगे."
समाजवादी पार्टी का खुला समर्थन
जहां इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने सतर्कता जताई, वहीं समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने ममता बनर्जी का समर्थन किया. सिंह ने कहा, "वे एक वरिष्ठ नेता हैं, उनके पास बहुत अनुभव है. वे सक्षम हैं. हमारी पार्टी के उनके साथ संबंध अच्छे हैं और हमें उनके नेतृत्व पर भरोसा है. इंडिया ब्लॉक के नेताओं को मिलकर यह तय करना होगा कि क्या किया जाना चाहिए. अगर ऐसा कोई फैसला लिया जाता है, तो हम उसका समर्थन करेंगे."
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने हाल ही में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों से आग्रह किया था कि वे अहंकार को अलग रखें और ममता बनर्जी को गठबंधन के नेता के रूप में मान्यता दें.
इंडिया गठबंधन में दो दर्जन से अधिक विपक्षी दल शामिल हैं. इसका गठन भाजपा का मुकाबला करने के लिए किया गया था. हालांकि, आंतरिक विभाजन और इसके नेताओं की आपनी महत्वाकांक्षाओं ने चुनौतियां खड़ी कीं. इसके नतीजे हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हुए चुनावों में देखने को मिले.
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