- कांग्रेस के लोकसभा सांसदों की एक अहम बैठक में आज शशि थरूर फिर नहीं आए
- थरूर कांग्रेस की पिछली कई बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं
- तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर के केरल में लोकप्रिय हैं और वे राज्य में सीएम चेहरा बनना चाहते हैं
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने संसद के मौजूदा सत्र में अपने सांसदों की एक बैठक रखी थी. बैठक में इस बात की समीक्षा होनी थी कि इस सत्र में कांग्रेस ने कैसा प्रदर्शन किया है. कांग्रेस के सांसदों की बैठक थी मगर सबकी निगाहें एक नाम पर था. सब ये देखने को आतुर थे कि बैठक में एक सांसद महोदय आते हैं या नहीं. मगर वो सांसद राहुल गांधी की इस बैठक में नहीं आए. इनका नाम है शशि थरूर जो केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद हैं. यह पहला मौका नहीं है जब शशि थरूर कांग्रेस की बैठक में नहीं आए हों. कई और सांसद जब पार्टी की इस तरह की बैठकों में नहीं आ पाते हैं तो वो बैठक से पहले ही पार्टी को नहीं आने के कारण बता देते हैं. थरूर भी हर बार बैठक में नहीं आने का कारण के बारे में पार्टी को सूचित कर देते हैं. अभी हाल में ही तीन बैठकों में थरूर गायब रहे. शशि थरूर बीते तीन हफ्तों में कांग्रेस की तीन अहम बैठकों से गैर हाजिर रहे हैं. हालांकि तीनों ही बार उन्होंने पार्टी को पूर्व सूचना दे दी थी.
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कब-कब नहीं आए थरूर
- 18 नवंबर को SIR पर राहुल–खरगे की बैठक : खराब तबीयत का कारण बता कर नहीं आए.
- एक दिन पहले पीएम मोदी के कार्यकम में शामिल हुए थे, सोशल मीडिया पर पीएम के भाषण की तारीफ की.
- 30 नवंबर को संसद की रणनीति बनाने के लिए सोनिया गांधी की अध्यक्षता में स्ट्रेटेजी ग्रुप की बैठक
- मां के साथ केरल में होने का हवाला दिया.
- 12 दिसंबर को लोकसभा सांसदों के साथ राहुल गांधी की बैठक
- केरल में होने के कारण नहीं आए

तकनीकी रूप से थरूर का स्टैंड समझिए
तकनीकी आधार पर ये सब जायज कारण माने जा सकते हैं और पार्टी उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर सकती.यदि थरूर बिना बताए बैठकों में नहीं आते तो पार्टी उन्हें नहीं आने के कारण जानने के लिए नोटिस भेज सकती है. शशि थरूर पिछली बार 28 अक्टूबर को कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में केरल कांग्रेस की बैठक में नजर आए थे.
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थरूर को शक की निगाह से देखती है कांग्रेस
थरूर को जब से सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश जाने वाले सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का मुखिया बना कर अमेरिका भेजा था तब से कांग्रेस उन्हें संदेह की नजर से देख रही है. मगर सबसे बड़ा सवाल है कि थरूर कांग्रेस के बैठक में नहीं जाते मगर बाकी समारोह में जाने से उन्हें परहेज नहीं होता. उनके बैठकों में ना आने, उनके सोशल मीडिया के पोस्ट या उनके अन्य बयानों पर कांग्रेस अक्सर चुप ही रहती है या कभी-कभी अपने किसी नेता से थरूर के खिलाफ बयान दिलवा देती है.
आखिर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही कांग्रेस?
मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि थरूर के तमाम बयानों और कांग्रेस की बैठकों का एक तरह से बहिष्कार करने के बाद पार्टी कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती, जबकि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ लड़ गए थे. मगर उसके बावजूद थरूर को कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया था. कांग्रेस केरल की अंदरूनी राजनीति की वजह से थरूर को नहीं छेड़ना चाहती है. थरूर और के सी वेणुगोपाल एक दूसरे को पसंद नहीं करते क्योंकि वेणुगोपाल राहुल गांधी के सबसे करीबी और राहुल, खरगे के बाद सबसे बड़ी हस्ती हैं.
विरोध के बाद भी थरूर हैं जरूरी
थरूर केरल में लोकप्रिय हैं और कांग्रेस उन पर कार्रवाई करके कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती है. केरल में स्थानीय निकाय के चुनाव हो रहे है और फिर विधानसभा का चुनाव भी होना है. थरूर केरल में कांग्रेस के तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा बनना चाहते हैं, मगर कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है यही सब कारणों से थरूर कांग्रेस को शर्मिंदा करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं. कांग्रेस उन्हें पार्टी से भी नहीं निकाल रही है यदि पार्टी ने ऐसा किया तो थरूर का लोकसभा का सांसद बने रहेंगे और रोज कांग्रेस को शर्मिंदा करते रहेंगे. यही वजह है कि शशि थरूर कांग्रेस के लिए ना उगलते बन रहे हैं ना ही निगलते.
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