- उन्नाव रेप पीड़िता के समर्थन में योगिता भयाना और मुमताज पटेल ने महत्वपूर्ण विरोध प्रदर्शन किए थे
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सेंगर को दी गई जमानत पर तत्काल रोक लगा दी है
- योगिता भयाना अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की कार्यकर्ता हैं और लगातार पीड़िता के साथ खड़ी रही हैं
उन्नाव रेप केस की पीड़िता का समर्थन और कुलदीप सेंगर के विरोध में कई सामाजिक संस्थाओं की ओर से विरोध-प्रदर्शन किया गया. पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाई, उनमें योगिता भयाना और मुमताज पटेल ने अहम भूमिका निभाई. कुलदीप सेंगर जेल से बाहर न आएं, इसके लिए इन दोनों ने पूरा जोर लगा दिया. कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा के निलंबन के विरोध में मुमताज पटेल और योगिता भयाना संसद परिसर के पास धरने पर बैठ गई थीं. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को हिरासत में ले लिया था. अब कुलदीप सिंह सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर को दी गई जमानत पर तत्काल रोक लगा दी है. अदालत के इस आदेश पर योगिता भयाना और मुमताज पटेल ने खुशी जाहिर की है.
कौन हैं योगिता भयाना
उन्नाव बलात्कार पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए योगिता भयाना जंतर मंतर, संसद भवन के करीब और दिल्ली हाई कोर्ट के सामने तक विरोध प्रदर्शन किया. वह उन्नाव बलात्कार पीड़िता की मां के साथ हर समय खड़ी रहीं. योगिता भयाना अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एआईडीडब्ल्यूए) की कार्यकर्ता हैं. उनकी पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता की है.

कुलदीप सिंह सेंगर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पर खुशी जाहिर करते हुए योगिता भयाना ने कहा, 'सत्यमेव जयते. हम इस आदेश की उम्मीद कर रहे थे. हम इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और सभी मीडिया को धन्यवाद देते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है. यह न्याय का मूल आधार था. इससे देश की बेटियों को यह संदेश मिलेगा कि अगर उनके साथ अन्याय होता है, तो उन्हें न्याय मिलेगा.'
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अहमद पटेल की बेटी हैं मुमताज पटेल
मुमताज पटेल ने भी उन्नाव रेप पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर उतरी नजर आईं. बता दें कि मुमताज पटेल कांग्रेस पार्टी की नेता हैं. वह दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल की बेटी हैं और गुजरात की राजनीति में सक्रिय हैं. मुमताज पटेल ने लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव जीता है, जहां वह भारतीय मूल की पहली महिला अध्यक्ष बनीं.

2017 में उन्नाव में नाबालिग लड़की के साथ हुए बलात्कार मामले में बीजेपी से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा पर रोक लगाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने कहा, 'मुमताज पटेल ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश हमारे लिए उम्मीद की किरण है. हम चाहते हैं कि इस बच्ची को न्याय मिले और कोर्ट के आदेश से लग रहा है कि हम इस राह में आगे बढ़ रहे हैं. हमारे देश में हर बलात्कारी को सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए. सिर्फ कुलदीप सेंगर ही नहीं, हर बलात्कारी को फांसी की सजा होनी चाहिए. एक नया कानून आना चाहिए जिसमें बलात्कारियों को मौत की सजा दी जाए.
पूरा मामला जानिए...
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर को जमानत देते हुए सजा निलंबित कर दी थी. इसी आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनवाई की. इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि आमतौर पर यह नियम होता है कि अगर कोई व्यक्ति जेल से बाहर आ चुका है, तो कोर्ट उसकी आजादी नहीं छीनती, लेकिन इस मामले में स्थिति अलग है, क्योंकि कुलदीप सेंगर अभी एक अन्य मामले में जेल में बंद है. इसी आधार पर कोर्ट ने जमानत पर रोक लगाने का आदेश दिया.
सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि यह मामला एक नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म का है. सेंगर पर धारा 376 और पोक्सो एक्ट की धारा 5 और 6 के तहत आरोप तय किए गए थे. ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए एसजी तुषार मेहता ने बताया कि कोर्ट ने सेंगर को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. ट्रायल कोर्ट ने यह भी स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड किया था कि पीड़िता की उम्र 16 साल से कम, यानी 15 साल 10 महीने, थी. इस सजा के खिलाफ सेंगर की अपील फिलहाल हाईकोर्ट में लंबित है.
सेंगर की जमानत पर रोक
एसजी ने कहा कि धारा 375 के तहत सेंगर को दोषी ठहराया गया है और अगर अपराध किसी प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा किया गया हो, तो उसमें न्यूनतम सजा 20 साल या उम्रकैद तक हो सकती है. उन्होंने यह भी दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि धारा 376 के जिन प्रावधानों के तहत सेंगर दोषी पाए गए, उनमें भी उम्रकैद की सजा का प्रावधान है.
वहीं, कुलदीप सेंगर की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे और हरिहरन ने बचाव में दलीलें पेश कीं. दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी.
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