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झुंझुनू हादसा: पाताल में 200 सुरंगें, जान हथेली पर रख जानें कैसे निकाला जाता है तांबा

खेतड़ी खदान (Rajasthan Copper Mine Accident) की गहराई बहुत ज्यादा है. लिफ्ट यहां तीन मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से नीचे जाती है. लिफ्ट से अंदर जाने के अलावा वहां जाने का कोई और विकल्प है ही नहीं. यह लिफ्ट लोहे के रस्सों पर चलती है.

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खदान से कैसे निकाला जाता है तांबा?

नई दिल्ली:

राजस्थान के झुंझुनू जिले में खेतड़ी कोलियान खदान में बड़ा हादसा (Jhunjhunu Kolihan Mine Accident) हुआ है. लिफ्ट का रस्सा टूटने की वजह से 14 लोग फंस गए थे, इनमें से 13 लोगों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया और 1 अफसर की मौत हो गई. मुख्य सतर्कता अधिकारी उपेंद्र पांडे को बचाया नहीं जा सका.बता दें कि 1800 फीट की गहराई में जाते हुए अचानक लिफ्ट की रस्सी टूट गई थी, जिसकी वजह से लिफ्ट नीचे गिर गई और उसमें मौजूद 14 लोग फंस गए थे. बताया जा रहा है कि यह हादसा मशीन के पुराने होने की वजह से हुआ. जानकारी के मुताबिक, यह घटना जमीन से 1875 फीट नीचे हुई. लिफ्ट में सवार 14 अधिकारी और कर्मचारी वहां फंस गए थे, जिसको निकालने की कोशिश लगातार की जा रही थीं. यहां फसे ज्यादातर कर्मचारी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के कोलकाता हेडऑफिस के थे.

तांबे की खदान में कैसे होता है काम?

खेतड़ी खदान के अंदर से तांबा बाहर पहुंचाने के लिए पटरियां बिछी हुई हैं. खनन वाली जगह से क्रेशर पॉइंट तक लोडर लगी ट्रॉली से पत्थरों को लाया जाता है. क्रेशर में पत्थरों के टकड़े किए जाते हैं और फिर कच्चे माल को बाहर भेजा जाता है. मेन टनल 10 किमी तक के दायरे में फैली हुई है. सभी सुरंगों को अगर मिला दिया जाए तो क्षेत्रफल के हिसाब से इसकी कुल दूरी 200 किमी से ज्यादा है. एक शिफ्ट में यहां पर 50 से 60 मजदूर काम करते हैं.

माइनर्स खदान से कैसे निकालते हैं तांबा?

तांबे को जमीन की गहराई से निकालने के लिए माइनर्स की मदद ली जाती है. इसमें शामिल लोगों का एक छोटा सा ग्रुप होता है. ये लोग खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए खुदाई करते हैं. यह काम बहुत ही जोखिम से भरा होता है. ऐसा ही काम कई जगहों पर रैट होल माइनर्स भी करते हैं.जोखिम की वजह से ही पर्यावरण निगरानी संस्था एनजीटी ने रैट होल माइनिंग पर रोक लगाई हुई है. लेकिन फिर भी यह काम अवैध रूप से कई जगहों पर चल रहा है. हालांकि केसीसी में रैट होल माइनिंग की जानकारी सामने नहीं आई है. फिर भी आपको बताते हैं कि रैट होल माइनर्स कैसे काम करते हैं.

खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए रैट होल माइनिंग का यह तरीका बहुत ही असुरक्षित है, लेकिन फिर भी संसाधनों से समृद्ध देशों में यह बहुत ही आम है. अफ्रीकी, एशियाई देशों  में रैट होल माइनिंग आम बात है. भारत में भी गहराई पर खनिज होने वाले क्षेत्रों में रैट होल माइनिंग की जाती है. रैट होल माइनर्स गड्ढा खोदकर रेंगकर रस्सी या बांस की सीढ़ी के सहारे खदान के भीतर जाते हैं. टोकरियों या फिर फावड़े से अंदर से कच्चा माल बाहर निकालते है. खदानों से निकलने वाली गैस या फिर कुछ गिरने से कई बार बड़े हादसे हो जाते हैं, और रैट माइनर्स की जानें चली जाती हैं. 

50 साल पुरानी खेतड़ी खदान में बचा कितना तांबा?

राजस्थान के झुंझनू जिले के खेतड़ी कस्बे में समुद्र तल से भी माइनस 120 मीटर नीचे से तांबे का खनन किया जाता है. यहां पिछले 50 सालों से तांबा निकाला जा रहा है. हर साल 11 लाख टन कच्चा माल यहां से निकाला जाता है, इसको प्रोसेस कर 11 हजार टन तांबा मिलता है. यहां पर करीब 200 टनल हैं. यहां पर 24 घंटे काम चलता है. इस खदान में इतना तांबा अभी भी मौजूद है कि 75 सालों तक खनन किया जा सकता है.

खेतड़ी खदान के भीतर कैसे घुसते हैं मजदूर?

स्थानीय वर्कर्स के मुताबिक, खदान की गहराई बहुत ज्यादा है. लिफ्ट यहां तीन मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से नीचे जाती है. लिफ्ट से अंदर जाने के अलावा वहां जाने का कोई और विकल्प है ही नहीं. यह लिफ्ट लोहे के रस्सों पर चलती है. भीतर आने-जाने के लिए अलग-अलग दो लिफ्टें मौजूद हैं. बिना मेडिकल जांच के किसी भी मजदूर को खदान के भीतर जाने की परमिशन नहीं है. खेतड़ी तांबा खदान में कर्मचारियों की भीतर जाने और बाहर आने, दोनों के नियम सख्त हैं. दोनों ही समय पर हाजिरी लगानी होती है, ताकि कर्मचारी के सुरक्षित होने का पता लगाया जा सके. 

क्या है केसीसी?

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के खेतड़ी और आसपास के इलाके में तांबे के बड़ा भंडार हैं. देश का 50 प्रतिशत तांबा इन्हीं पहाड़ों की खदान से निकाला जाता है. खनन का काम भारत सरकार के उपक्रम हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के अधीन है. खेतड़ी की इस माइन को खेतड़ी कॉपर कॉर्पोरेशन यानी केसीसी कहा जाता है. यहां पहाड़ के नीचे खेतड़ी और कोलिहान क्षेत्र के 324 किमी के दायरे में 300 के आसपास अंडरग्राउंड खदानें हैं. यहां 102 मीटर की गहराई पर तांबा निकाला जाता है. ऐसे में यहां देश की पहली सबसे बड़ी और सबसे गहरी तांबे की माइंस हैं. यहां से निकाले गए तांबे की गुणवत्ता की वजह से यह लंदन मेटल एक्सचेंज की ए ग्रेड में शामिल है और इसी वजह से देश में सुरक्षा उपकरण इसी तांबे से बनाए जाते हैं.

 सुरक्षा पर खास ध्यान देता है KCC

केसीसी में सुरक्षा पर खास ध्यान दिया जाता है. यहां हर साल सुरक्षा दिवस मनाया जाता है. हर एक कर्मचारी और अधिकारी को इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. सुरक्षा टिप्स देने के साथ ही उनको इसकी शपथ भी दिलाई जाती है. कोलिहान में समुद्र तल से नीचे खदान चल रही है. यहां से तांबे के अयस्क निकालकर इसको डंपरों में भरकर खेतड़ीनगर भेजा जाता है. पिसाई के बाद इनको रिफाइनमेंट के लिए दूसरे राज्यों में भेजा जाता है.
 

ये भी पढ़ें-राजस्थान : कॉपर खदान में 1800 फीट नीचे गिरी लिफ्ट, 14 लोगों में से तीन को बाहर निकाला गया
 

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