जम्मू कश्मीर के डोडा में मंगलवार को आंतकियों के साथ हुए मुठभेड़ में सेना के 4 जवान शहीद हो गए. इनमें दो जवान राजस्थान के शेखावटी रिजन के झुंझुनू जिले के रहने वाले थे. इन दोनों जवानों की शहादत पर पूरा देश गमगीन है. वहीं कई लोग जवानों की शहादत से शेखावटी के शान को और बुलंद करने की बात कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के जो 4 जवान शहीद हो गए. इनमें झुंझुनू के भैसावता कलां निवासी सिपाही अजय नरूका और सिंघाना के डुमोली गांव निवासी बिजेंद्र सिंह भी शामिल हैं.
दोनों जवान जल्द जाने वाले थे घर
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 24 वर्षीय सिपाही अजय सिंह नरुका ने राजस्थान के झुंझुनू जिले में अपने परिवार को फोन करके कहा था कि वह 20 जुलाई के आसपास घर आ जाएगा. वहीं झुंझुनू के 25 बिजेंद्र भी आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ शहीद हो गए. वह सोमवार को अपनी पत्नी अंकिता का जन्मदिन मनाने के लिए घर पर होते. लेकिन बदकिस्मती इस दिन हुई मुठभेड़ में उनकी जान चली गई. सितंबर 2018 में भर्ती हुए राष्ट्रीय राइफल्स के दोनों सिपाही सोमवार रात करीब 8 बजे मुठभेड़ के दौरान "गोली लगने से घायल" हो गए और एक कैप्टन सहित दो अन्य कर्मियों के साथ देश के लिए कुर्बान हो गए.
दो साल पहले हुई अजय की शादी
अजय के चाचा ओम प्रकाश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "अजय ने घर पर फोन करके बताया था कि वह ठीक है, हालांकि उसने कहा, 'झगड़ा हो रहा है, आपको पता है कि आप लोग टीवी देखते हैं' लेकिन मैं घर आ रहा हूं क्योंकि मेरी छुट्टी मंजूर हो गई है." "लेकिन आज सुबह उसके पिता को सेना से फोन आया जिसमें बताया गया कि वह अब नहीं रहा." अजय आखिरी बार करीब तीन महीने पहले घर आया था और उसके परिवार में उसकी पत्नी शालू कंवर और माता-पिता कमल सिंह और सलोचना देवी हैं. अजय और शालू की शादी दो साल पहले हुई थी और उनके कोई बच्चे नहीं हैं, अजय का छोटा भाई करण वीर एम्स, बठिंडा से एमबीबीएस कर रहा है.
अजय और बिजेंद्र का सेना से पुराना नाता
अजय के पिता कमल सिंह भी 2014-15 में सेना से रिटायर हुए थे, जबकि चाचा कायम सिंह नरूका को 2021 में सेना पदक से सम्मानित किया गया था. अजय का पैतृक गांव बुहाना तहसील में भैसावता कलां है, बिजेंद्र डुमोली कलां के मूल निवासी थे, जो झुंझुनू की बुहाना तहसील के अंतर्गत आता है. अजय की तरह ही बिजेंद्र का परिवार भी सेना में अपनी सेवाएं देता रहा है. बिजेंद्र के भाई दशरथ सिंह सेना में हैं और लखनऊ में तैनात हैं. 29 वर्षीय दशरथ ने बताया कि सोमवार रात 11 बजे के बाद सेना से बिजेंद्र के बारे में उन्हें फोन आया और इसके तुरंत बाद वह राजस्थान के लिए रवाना हो गए.
बिजेंद्र के भाई ने कहा मुझे जिसका डर था वहीं हुआ
उन्होंने कहा, "हम रोजाना बात करते थे, वह छुट्टी के लिए प्रयास कर रहे थे और हम यह भी योजना बना रहे थे कि वह पहले लखनऊ घूमने आएं और फिर हम साथ में घर जाएं. लेकिन वही हुआ जिसका मुझे डर था." बिजेंद्र के परिवार के कुछ लोगों को अभी तक यह नहीं बताया गया है कि वह अब नहीं रहे. दशरथ ने कहा, "मैं सुबह-सुबह झुंझुनू पहुंचा और उनकी पत्नी अंकिता को बताया कि वह आईसीयू में हैं. वह लगातार जोर दे रही थी कि मैं उनसे बात क्यों नहीं करवा सकता, लेकिन मैंने उन्हें बताया कि वह आईसीयू में हैं, इसलिए मैं उनसे बात नहीं करवा सकता. मेरी मां भी उनका नाम सुनकर बेहोश हो जाती हैं, इसलिए हमने उन्हें नहीं बताया कि वह अब नहीं रहे."
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं