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This Article is From May 01, 2024

आम चुनाव में जनजातीय समुदाय का मतदान प्रतिशत बढ़ा : चुनाव आयोग

इस बार ऐतिहासिक रूप से ग्रेट निकोबार की शोम्पेन जनजाति ने पहली बार आम चुनाव में मतदान किया

आम चुनाव में जनजातीय समुदाय का मतदान प्रतिशत बढ़ा : चुनाव आयोग
इस बार ऐतिहासिक रूप से ग्रेट निकोबार की शोम्पेन जनजाति ने पहली बार आम चुनाव में मतदान किया.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले और दूसरे चरण में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जनजातीय समूहों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. चुनाव आयोग के मुताबिक जनजातीय समुदाय का मतदान प्रतिशत बढ़ा है. इस बार ऐतिहासिक रूप से ग्रेट निकोबार की शोम्पेन जनजाति ने पहली बार आम चुनाव में मतदान किया.

आयोग के मुताबिक, पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) और अन्य जनजातीय समूहों को मतदान में शामिल करने के लिए पिछले दो वर्षों से प्रयास जारी थे. उन्हें मतदाता सूची में शामिल करने के लिए विशेष आउटरीच शिविर आयोजित किए गए. मध्य प्रदेश में बैगा, भारिया और सहरिया नामक कुल तीन पीवीटीजी समुदाय हैं. 23 जिलों की कुल 9,91,613 पीवीटीजी आबादी में से 6,37,681 नागरिक 18 साल से उम्र के हैं और सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं. राज्य में संपन्न दो चरणों के मतदान में बैगा और भारिया जनजाति के मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया. मतदान केंद्रों पर जनजातीय समूहों के स्वागत के लिए जनजातीय थीम पर आधारित मतदान केंद्र भी बनाए गए थे. मध्य प्रदेश के डिंडोरी में ग्रामीणों ने स्वयं मतदान केंद्रों को सजाया था.

कर्नाटक के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र पीवीटीजी जेनु कुरुबा और कोरागा समुदाय के आवास हैं. आम चुनावों से पहले मतदाता सूची में पात्र पीवीटीजी का 100 फीसदी नामांकन सुनिश्चित किया. पूरी आबादी में 55,815 पीवीटीजी हैं, उनमें से 39,498 लोग 18 साल से अधिक उम्र के हैं और सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं.

मतदान के दिन इन पीवीटीजी मतदाताओं को मतदान के लिए आकर्षित करने के प्रयास में आदिवासी थीम पर 40 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं.

आयोग ने बुधवार को बताया कि केरल में पांच आदिवासी समुदायों को पीवीटीजी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. 31 मार्च, 2024 तक पीवीटीजी की कुल आबादी 4,750 है, जिनमें से 3,850 लोगों ने मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया है.

केरल के कुरुम्बा आदिवासी मतदाताओं ने एक प्रेरणादायक उपलब्धि हासिल की. वे केरल के साइलेंट घाटी के मुक्कली क्षेत्र में मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए पहले सुलभ वन क्षेत्र तक जाने के लिए घंटों पैदल चले फिर वहां से उनके परिवहन की सुविधा के लिए वाहन उपलब्ध कराए गए थे. 80 और 90 वर्ष की आयु के कई आदिवासी मतदाताओं ने लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण पेश किया और कई लोगों के लिए प्रेरणा भी बने. 817 मतदाताओं में 417 महिलाएं थीं.

आयोग का कहना है कि ओडिशा में 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) रहते हैं. इनके नाम हैं पौडी भुइया, जुआंग, सौरा, लांजिया सौरा, मनकिर्डिया, बिरहोर, कुटिया कोंधा, बोंडो, दिदाई, लोढ़ा, खारिया, चुकुटिया भुंजिया, डोंगोरिया खोंड. ओडिशा में इनकी कुल आबादी 2,64,974 है. इनमें से सभी ने 1,84,274 पात्र पीवीटीजी का मतदाता सूची में 100 फीसदी नामांकन हासिल कर लिया गया है.

बिहार में माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, पहाड़िया, कोरवा और बिरहोर सहित पांच पीवीटीजी समुदाय हैं. राज्य के दस जिलों में इनकी आबादी 7,631 है. इनमें से पात्र 3,147 लोगों को मतदाताओं के रूप में उल्लेखनीय 100 फीसदी नामांकन किया गया. चल रहे चुनावों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए 'मतदाता अपील पत्र' सहित एक व्यापक अभियान शुरू किया गया था.

झारखंड में 32 आदिवासी समूह हैं. इनमें से 9 अर्थात असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरवा, माल पहाड़िया, पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, बैगा और सावर पीवीटीजी से संबंधित हैं. एसएसआर 2024 के दौरान, झारखंड में पीवीटीजी के आवास क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाए गए, जो ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र हैं. इसके परिणामस्वरूप 6,979 नामांकन हुए. 18 साल से अधिक उम्र वाले 1,69,288 पात्र पीवीटीजी अब मतदाता सूची में पंजीकृत हैं. कुल पीवीटीजी जनसंख्या 2,58,266 है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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