दिल्ली उच्च न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि मणिपुर सरकार 26 मई को सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा केंद्र को इस अशांत पूर्वोत्तर राज्य के बाहर बनाने के पक्ष में है. मणिपुर सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि मुख्य सचिव ने कहा है कि सरकार इन अभ्यर्थियों को इस राज्य के बाहर परीक्षा केंद्र तक जाने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी. मणिपुर लंबे समय से जातीय हिंसा की चपेट में है.
मणिपुर प्राधिकारियों के रुख पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि परीक्षाएं पिछले साल की तरह राज्य के बाहर आयोजित की जा सकती है और उसने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के वकील को इस पर निर्देश प्राप्त करने को कहा.
पीठ ने कहा, ‘‘इस पर निर्णय लीजिए. 2023 की प्रवृत्ति का पालन करिए. हम यूपीएससी को निर्देश लेने के लिए कहेंगे. प्रथम दृष्टया हमारी यह राय है.'' उसने कहा, ‘‘यूपीएससी के वकील को निर्देश लेने के लिए कहा जाता है.''
याचिकाकर्ता जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय का रुख करते हुए मणिपुर में चुराचांदपुर तथा कांगपोकपी में परीक्षा केंद्र बनाने और सिविल सेवा के अभ्यर्थियों को अपनी पसंद के किसी केंद्र का चयन करने के लिए फिर से मौका देने का अनुरोध किया था.
मणिपुर सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव ने उन्हें संबोधित पत्र में कहा कि राज्य सरकार का यह मानना है कि स्थिति को देखते हुए तथा परीक्षा की शुचिता को बनाए रखने के लिए चुराचांदपुर और कांगपोकपी में परीक्षा केंद्र बनाना उचित नहीं होगा.
पत्र में सुझाव दिया गया कि मणिपुर के छात्रों को राज्य के बाहर परीक्षा केंद्र आवंटित किए जाए और इसके लिए उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी. इस मामले पर अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी.
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