देशभर में इस समय 'समान नागरिक संहिता' पर बहस छिड़ी हुई है. इस मुद्दे पर सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने संसद सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाने की तैयारी भी कर ली है. इस बीच गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के लिए समान नागरिक संहिता बेहद महत्वपूर्ण है. इसलिए इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए.
प्रमोद सावंत ने कहा, "समान नागरिक संहिता महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के लिए बेहद मायने रखता है. कई पार्टियां यूसीसी पर राजनीति कर रही हैं. इसका मतलब है कि वे महिलाओं का सशक्तीकरण और लिंग गुणवत्ता नहीं चाहते हैं. यूसीसी जाति और धर्म पर आधारित नहीं है."
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, ''यह केंद्र पर निर्भर करता है कि समान नागरिक संहिता कब लागू की जाए.'' गोवा के सीएम ने कहा कि उन्हें बहुत गर्व है, क्योंकि गोवा आजादी के बाद समान नागरिक संहिता का पालन करने वाला पहला राज्य है.
गोवा के मुख्यमंत्री ने कहा, "वर्तमान में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसी कई पार्टियां यूसीसी पर राजनीति कर रही हैं. इस पर राजनीति करने वाली पार्टियां महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता नहीं चाहती हैं. यूसीसी धर्म पर आधारित नहीं है. मैं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं. पीएम मोदी और बिल पेश करने के केंद्र के फैसले का स्वागत करता हूं. मुझे उम्मीद है कि बिल जल्द ही लागू होगा. पिछले 60 वर्षों में यूसीसी के कार्यान्वयन के बाद गोवा में कोई समस्या नहीं हुई है.''
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर 3 जुलाई को संसदीय स्थायी समिति की चर्चा से पहले कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह ने शनिवार को एक बैठक की. इस बैठक के बाद कांग्रेस वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि जब कोई मसौदा आएगा और चर्चा होगी, तब हम हिस्सा लेंगे और जो प्रस्तावित होगा, उसकी समीक्षा करेंगे. फिलहाल, हमारे पास प्रतिक्रिया के लिए केवल विधि आयोग का सार्वजनिक नोटिस है. कांग्रेस अपने बयान पर कायम है, क्योंकि कुछ भी नया नहीं हुआ है. कांग्रेस का मानना है कि इस स्तर पर यूसीसी को लागू करना ठीक नहीं है.
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