
बिहार में महिला सशक्तिकरण अब सड़कों पर साफ नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य की महिलाएं अब सिर्फ घर की जिम्मेदारियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब वे आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाते हुए दोपहिया और चारपहिया वाहन चला रही हैं. राज्यभर में महिला चालकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. साल 2018 से अबतक 1 लाख 29 हजार से अधिक महिलाओं को मोटर वाहन चलाने का लाइसेंस बनवाया है.
पहले स्थान पर पटना
यह बदलाव केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि सामाजिक सोच के परिवर्तन भी है. पटना प्रमंडल इस पहल में सबसे आगे है. पटना में अब तक 40 हजार से अधिक महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए चुके हैं. तिरहुत प्रमंडल आंकड़ों के लिहाज से दूसरे नंबर पर है. यहां 33 हजार ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए गए हैं. जबकि दरभंगा, मगध और मुंगेर प्रमंडल तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं.
कोसी प्रमंडल में भी 4 हजार महिलाएं लाइसेंसधारी हैं
बिहार ने वो दौर भी देखा है, जब यहां लड़कियां जींस पहन कर घर से निकलना मुश्किल था. बड़ी गाड़ियां तो छोड़िए अकेले घर से शाम के बाद अकेले निकलना खतरनाक था. वहीं राजधानी पटना से सबसे दूर के कोसी प्रमंडल में तब बदलाव की बयार दिखाई दे रही है. बदलाव की गति यहां थोड़ी धीमी है. यहां करीब 4 हजार महिलाओं ने यहां भी अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया है.
सरकार के प्रयासों का हुआ असर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन और महिला सशक्तिकरण की नीतियों का ही नतीजा है कि बिहार की महिलाएं अब उन क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बना रही हैं, जो पहले पुरुषों के एकाधिकार माने जाते थे. पुलिस विभाग में 23 फीसदी महिलाएं हैं. जिनमें से 13 फीसदी अधिकारी और 27 फीसद कॉन्सटेबल के पद पर तैनात हैं. बिहार में महिलाओं की भागीदारी सभी राज्यों के मुकाबले बेहतर है. फिर चाहे वो सरकारी नौकरियों में आरक्षण हो, छात्राओं के लिए साइकिल और पोशाक योजनाएं हों, या फिर अब परिवहन के क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को हर मोर्चे पर सशक्त बनाने का प्रयास किया है.
अब महिलाएं ड्राइविंग सीट पर हैं: परिवहन सचिव
बदलते बिहार की तस्वीर को बयां करते हुए परिवहन सचिव संदीप कुमार आर. पुडकलकट्टी ने कहा कि पहले महिलाएं बच्चों को स्कूल छोड़ने-लाने, ऑफिस जाने और बाजार जाने जैसे जरूरी कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहती थीं. लेकिन अब स्थिति बदल रही है. महिलाएं न केवल ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर रही हैं, बल्कि आत्मविश्वास के साथ वाहन भी चला रही हैं. यह आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है.
महिलाओं की भागीदारी, बदलेगा बिहार
नीतीश सरकार की योजनाएं केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे व्यवहारिक बदलाव का माध्यम बन रही हैं. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी न केवल सामाजिक बदलाव को रफ्तार दे रही है, बल्कि पूरे राज्य की विकास यात्रा को भी नई दिशा दे रही है. अब जब महिलाएं खुद स्टेयरिंग थाम रही हैं, तो यह साफ है कि बिहार का भविष्य सुरक्षित हाथों में है.
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